द फॉलोअप डेस्क, रांची:
झारखंड विधानसभा शीतकालीन सत्र-2023 के आखिरी दिन नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने अपना व्यक्तव्य दिया। नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि छोटी सी सत्रावधि में झारखंड से जुड़े कई विषय अनुत्तरित रह गए। उन्होंने कहा कि चुनावी राजनीति एक सच्चाई है लेकिन यह झारखंडियों की आशा, उम्मीद और भविष्य की कीमत पर नहीं होनी चाहिए। गुरुवार को विधानसभा घेराव करने जा रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ के कर्मियों पर लाठीचार्ज पर अमर बाउरी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसी। महिलाएं भी घायल है। विधानसभा के बाहर ऐसी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।
झारखंड में कई सवालों के जवाब अनुत्तरित
अमर बाउरी ने कहा कि झारखंड में अब भी पारा शिक्षक, संविदाकर्मी, पोषण सखी, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, बीआरपी-सीआरपी सहित कई अन्य मुद्दों का समाधान होना बाकी है। किसानों को पिछले साल की धान बिक्री का पैसा अभी तक नहीं मिला है। विधि-व्यवस्था के मोर्चे पर हेमंत सोरेन सरकार को घेरते हुए अमर बाउरी ने कहा कि धनबाद जेल के भीतर हत्या हो गई। जेल के बाहर पुलिसकर्मी की हत्या कर दी जाती है। बांग्लादेशी घुसपैठ हो रहा है। झारखंड में एनआईए का छापा पड़ रहा है। यह सब गंभीर प्रश्न है जिसका समाधान तलाशना होगा। राज्य की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए।
समस्याओं का समाधान करें मुख्यमंत्री सोरेन
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि शीतकालीन सत्र की शुरुआत भ्रष्टाचार के एक बड़े मुद्दे के साथ हुई थी। सदन के भीतर हमने जेपीएससी-जेएसएससी के जरिए नियुक्ति और झारखंडी युवाओं के हित का माला उठाया। हमने सरकार को 8 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा दिए हैं। राज्यपाल द्वारा लौटाया गया स्थानीयता बिल दोबारा सदन से ध्वनिमत से पारित हुआ। आंदोलनकारियों के आश्रितों को नौकरी में आरक्षण का बिल आया। हमने वनांचल को इसमें जोड़ने की मांग की। नेता प्रतिपक्ष के रूप में मेरी मुख्यमंत्री से अपील है कि वह समस्याओं का सकारात्मक समाधान करें। मैं खुश हूं कि मुझे पार्टी ने यह मौका दिया।
छोटी सी सत्रावधि में हमारे 3 विधायक निलंबित
स्पीकर रबींद्रनाथ महतो को संबोधित करते हुए अमर बाउरी ने कहा कि छोटी सी सत्रावधि के दौरान हमारे 3 विधायकों को निलंबित किया गया। सदन के भीतर मुझे बंदर कहा गया। उन्होंने कहा कि अहंकार किसी का भी हो सकता है लेकिन, कोई बात नहीं। उन्होंने स्पीकर से कहा कि संसदीय परंपरा को और मजबूत बनाने पर काम होना चाहिए। सभी सदस्यों को सदन में बोलने का मौका मिलना चाहिए।