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हजारीबाग जमीन कब्जा केस में बाबूलाल और अंबा में छिड़ी जुबानी जंग, पढ़िए क्या कहा

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द फॉलोअप डेस्क:

झारखंड में जमीन का झगड़ा ट्विटर पर आ गया है। जमीन पर विवाद की आंच सोशल मीडिया तक पहुंच रही है। सत्तापक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। दोनों ही पक्ष यह बताने में लगा है कि कौन कितना ज्यादा भ्रष्टाचारी है। जमीन पर सियासत के इस झगड़े में भाषायी मर्यादा की सीमाएं भी लांघ दी गई है। ताजा मामला बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और बड़कागांव से कांग्रेस की विधायक अंबा प्रसाद के बीच जारी जुबानी जंग से है। दोनों नेता ट्विटर पर भिड़ गए हैं। दरअसल, बाबूलाल मरांडी ने हजारीबाग में कथित तौर पर जमीन कब्जाने को लेकर अंबा प्रसाद पर तंज किया तो अंबा प्रसाद ने उन्हें भाषा पर सयंम की नसीहत दे डाली।

 

बाबूलाल मरांडी और अंबा प्रसाद ने छिड़ी जुबानी जंग
हजारीबाग के हुरहुरू में 50 डिसमिल खासमहाल जमीन पर कथित तौर पर अवैध ढंग से विधायक अंबा प्रसाद और उनके पिता पूर्व मंत्री योगेंद्र साव द्वारा कब्जा किए जाने को लेकर बाबूलाल मरांडी ने ट्विटर पर लिखा, जब सैंया भये कोतवाल तो डर काहे का। जब राज्य के मुख्यमंत्री ही जमीन हड़पने के लिए कुख्यात हों तो उसका असर साथी विधायकों पर तो पड़ेगा ही। कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद ने प्रशासन की रोक के बावजूद जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है। विधि-व्यवस्था अक्षुण्ण रखने की शपथ लेने वाले जनप्रतिनिधि ही जब भू-माफिया बन जाएंगे तो आम लोगों की क्या स्थिति होगी। बाबूलाल मरांडी ने तीखे शब्दों में तंज किया। मुख्यमंत्री को भी लपेटे में ले लिया। जाहिर है कि इसकी प्रतिक्रिया भी तीव्र गति से आती। आई भी। 

बाबूलाल मरांडी के ट्विट पर अंबा प्रसाद की त्वरित प्रतिक्रिया आई। ट्विटर पर लिखा, उम्र में मुझे दोगुने। भाषा सड़क छाप। आपकी इस अभद्र एवं तथ्य विहीन टिप्पणी पर क्या ही लिखूं। मुझे अब भी विश्वास नहीं है कि ऐसी ओछी टिप्पणी आप कर सकते हैं। अब टिप्पणी तो हो चुकी है। 

 

जमीन पर कथित कब्जे का पूरा मामला क्या है
झारखंड के सबसे बड़े हिंदी दैनिक अखबार प्रभात खबर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद और उनके पिता पूर्व मंत्री योगेंद्र साव पर आरोप है कि उन्होंने हजारीबाग शहर में हुरहुरू स्थित 50 डिसमिल जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। प्रशासन की रोक के बावजूद चदरे की चहारदीवारी बना दी। रिपोर्ट में बताया गया है कि खासमहाल हलका कर्मचारी ने अपर समाहर्ता को भेजी गई अपनी रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया। रिपोर्ट में उल्लेख है कि मौजा कैंटोनमेंट के होल्डिंग नंबर 302 के प्लॉट नंबर 872/1235, 873/1336 और प्लॉट नंबर 893/1337 की जमीन खासमहाल की है। कुल रकबा 50 डिसिमिल है। बाजार में जमीन की अनुमानित कीमत 25 करोड़ रुपये है। मतलब जमीन, बेशकीमती है। 

31 मार्च 2008 के बाद लीज का नवीकरण नहीं हुआ
रिपोर्ट्स के मुताबिक जमीन पहले मो. एहसान नाम के व्यक्ति को लीज पर दी गई थी। 31 मार्च 2008 के बाद लीज का नवीकरण नहीं किया गया है। जमीन पर लीजधारक के वंशज भी नहीं रहते हैं।  अधिकारियों द्वारा स्थल निरीक्षण के दौरान पूछताछ में पता चला कि पूर्व विधायक योगेंद्र साव और विधायक अंबा प्रसाद द्वारा चदरा से जमीन की घेराबंदी कर ली गई है। यह लीज की शर्तों का उल्लंघन था। 

11 नवंबर को जमीन पर मालिकाना हक का विवाद हुआ
दरअसल, 11 नवंबर को जमीन पर मालिकाना हक का विवाद सामने आया। हलका कर्मचारी ने अपर समाहर्ता को भेजी गई रिपोर्ट में बताया कि जमीन की घेराबंदी के लिए ईंट की चहारदीवारी बनाई जा रही है। अपर समाहर्ता के आदेश पर घेराबंदी का काम रोक दिया गया। आरोप है कि प्रशासन के आदेश की अवहेलना कर उक्त जमीन पर चदरे की चहारदीवारी बना दी गई। 22 नवंबर को जिला प्रशासन की टीम ने बलपूर्वक जमीन को अवैध कब्जे से मुक्त कराया और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया। मामले में अंबा प्रसाद का नाम भी सामने आया। 

पूर्व मंत्री योगेंद्र साव ने कब्जे के आरोपों से इनकार किया
इस पूरे मामले में योगेंद्र साव कहा कि बिना किसी कारण और साक्ष्य के उनको बदनाम किया जा रहा है। अंबा प्रसाद ने कहा कि मीडिया से उनको पता चला कि जमीन पर अवैध कब्जे से जुड़े मामले में उनका नाम जोड़ा जा रहा है। बिना किसी तथ्य के उनका नाम घसीटा जा रहा है। इस बीच, अंबा प्रसाद ने यह भी स्वीकार किया कि केस में पिता योगेंद्र साव का नाम है लेकिन उनका नाम जोड़ना गलत है। अंबा प्रसाद ने कहा कि जमीन पर अवैध कब्जे में उनके परिवार का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं है। अंबा प्रसाद ने यह जरूर स्वीकार किया कि पिता योगेंद्र साव ने लीजधारी की मदद करने के लिए पैरवी की थी लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं किया। 

अब जमीन को तो प्रशासन ने कब्जे से मुक्त करा लिया है लेकिन सियासत  जारी है। देखना यह कि आरोप-प्रत्यारोप कब थमेगा।