logo

जन सेवा और सांस्कृतिक पुनरुद्धार की प्रतिमूर्ति थी रानी अहिल्याबाई होलकर- बाबूलाल मरांडी

BABULAL226.jpg

रांची
पुण्यश्लोक रानी अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के उपलक्ष्य में भाजपा प्रदेश कार्यालय में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष व नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में महिला मोर्चा की राष्ट्रीय मंत्री व राज्यसभा सांसद संगीता यादव मौजूद रहीं।
बाबूलाल मरांडी ने रानी अहिल्याबाई को भारत की सांस्कृतिक चेतना और जनसेवा की जीवंत प्रतिमूर्ति बताया। उन्होंने कहा कि अत्यंत विषम परिस्थितियों में भी अहिल्याबाई ने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। उन्होंने शासन को ईश्वरीय आदेश मानकर चलाया और भगवान शिव के प्रति गहन आस्था के साथ प्रशासन किया।
उन्होंने आगे कहा, “काशी विश्वनाथ और सोमनाथ जैसे मंदिर, जिन पर मुगलों ने हमला किया था, उनका पुनरुद्धार कर रानी ने सांस्कृतिक आत्मगौरव को पुनर्स्थापित किया। वेद-पाठी विद्वानों की नियुक्ति, शास्त्र चिंतन की परंपरा और तीर्थस्थलों के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है।”

संगीता यादव ने रानी अहिल्याबाई के समाज सुधारक स्वरूप पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा, “रानी अहिल्याबाई केवल एक कुशल प्रशासक ही नहीं, बल्कि सामाजिक क्रांति की अग्रदूत थीं। उन्होंने अपने शासन में महिला सशक्तिकरण को प्राथमिकता दी। उन्होंने दहेज प्रथा के विरुद्ध कठोर कानून बनाए, विधवाओं को गोद लेने का अधिकार दिया और विधवा पुनर्विवाह को सामाजिक स्वीकृति दिलाई।”
उन्होंने बताया कि रानी ने महिलाओं के लिए विद्यालय खुलवाए, महिला शिक्षिकाओं की नियुक्ति की और युद्धकला में प्रशिक्षित कर एक महिला सैन्य टुकड़ी भी गठित की। “उनका सम्पूर्ण जीवन धर्म, सेवा और नीति पर आधारित था। वे शक्ति से नहीं, युक्ति से शासन चलाने में विश्वास रखती थीं,” संगीता यादव ने कहा।

डॉ. रविंद्र कुमार राय ने कहा कि रानी अहिल्याबाई नारी शक्ति का जीता-जागता प्रतीक थीं। उन्होंने शासन में पारदर्शिता और नैतिकता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। “इतनी बड़ी सत्ता के बावजूद जब उनके पुत्र ने अनुशासन तोड़ा तो उन्होंने उसे दंडित करने में संकोच नहीं किया। यह बताता है कि उनके लिए धर्म और नीति सर्वोपरि थे।” उन्होंने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की वर्तमान धारा रानी अहिल्याबाई जैसे चरित्रों की देन है। “रानी को स्मरण करना केवल इतिहास को याद करना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मगौरव को पुनर्स्थापित करना है।”
कर्मवीर सिंह (प्रदेश संगठन महामंत्री)  ने कहा कि रानी अहिल्याबाई होलकर सर्व समाज की माता थीं। “उनका शासन सबके लिए था—न केवल मराठों के लिए, बल्कि पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए वे एक मार्गदर्शक थीं। आज जब हम उनकी 300वीं जयंती मना रहे हैं, तो हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि उनके आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाएं और अगली पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित कराएं।”

कार्यक्रम का संचालन सह-संयोजक लवली गुप्ता ने किया और धन्यवाद ज्ञापन अर्चना सिंह ने। इस अवसर पर विकास प्रीतम (प्रदेश संयोजक), आरती सिंह (सह-संयोजक), विधायक नीरा यादव, पूर्णिमा दास साहू, मंजू कुमारी ने भी अपने विचार साझा किए। प्रमुख रूप से उपस्थित लोगों में सांसद आदित्य साहू, प्रदेश उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद, आरती कुजूर, मंत्री गणेश मिश्र, सरोज सिंह, नंद जी प्रसाद, हेमंत दास, शिवपूजन पाठक, राफिया नाज, अजय साह, योगेंद्र प्रताप सिंह सहित सभी जिलों के संयोजक, सह-संयोजक और जिलाध्यक्ष शामिल रहे। कई सांसद और विधायक ऑनलाइन माध्यम से कार्यशाला में जुड़े।

Tags - Jharkhand News News Jharkhand Jharkhand।atest News News Jharkhand।ive Breaking।atest