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झारखंड के गोड्डा में अज्ञात बीमारी से पहाड़िया समुदाय के 7 बच्चों की मौत, सिविल सर्जन ने भेजी टीम

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गोड्डा:

झारखंड के गोड्डा जिला अंतर्गत सुंदरपहाड़ी प्रखंड के सिंदरी पंचायत के आधा दर्जन गांवों में अज्ञात बीमारी से पहाड़िया समुदाय के 7 बच्चों की मौत हो गई। बताया जाता है कि बच्चों को पहले बुखार आया और फिर उनकी मृत्यु हो गई। जानने योग्य बात मृत बच्चों की उम्र 10 वर्ष से कम है। फिलहाल, जिले के सिविल सर्जन ने 4 सदस्यीय मेडिकल टीम बनाकर उन्हें प्रभावित गांवों में जाकर जांच करने, मृत बच्चों को चिन्हित करने और यथासंभव इलाज मुहैया कराकर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। इधर, इस मामले में गोड्डा विधायक अमित मंडल ने सरकार पर निशाना साधा है। 

सिविल सर्जन को दिया था लिखित आवेदन
दरअसल, पिछले शनिवार को विश्व आदिवासी अखिल एभेन संगठन के संजय किस्कू ने सिविल सर्जन को लिखित आवेदन देकर सूचना दी थी कि गोड्डा जिला के सुंदरपहाड़ी प्रखंड अंतर्गत सिंदरी पंचायत के जोलों, बोरागो, सारमी, सिदलेर और तिलेयपाड़ा में 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों की अज्ञात बीमारी से मृत्यु हो जाती है। मिली जानकारी के मुताबिक 14 से 20 नवंबर के बीच जोलों, बोरागो, सारमी, सिदलेर और तिलेयपाड़ा में 5 बच्चों की मृत्यु हुई वहीं 21 नवंबर तक डाडों और सारमी में भी 1-1 बच्चे की मृत्यु हो गई। अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत पर ग्रामीणों में दहशत है। 

उपायुक्त को चिट्ठी लिखी तो हुई कार्रवाई
संजय किस्कू ने मंगलवार को उपायुक्त को भी इस संबंध में पत्र लिखा। बाद में उपायुक्त कार्यालय की गुप्त शाखा द्वारा सिविल सर्जन (गोड्डा) को आदेश दिया गया। सिविस सर्जन डॉ. अनंत कुमार झा ने सुंदरपहाड़ी के चिकित्सा पदाधिकारी की अगुवाई में 4 सदस्यीय मेडिकल टीम का गठन किया और प्रभावित गांवों का दौरा कर हरसंभव सहायता देने का निर्देश दिया है। टीम में मो. खालिद अंजुम, हेमंत कुमार, शिवेंद्र कुमार और प्रभात रंजन को शामिल किया गया है। 

संताल परगना में पहले फैला था डायरिया
गौरतलब है कि संताल परगना के साहिबगंज, पाकुड़, गोड्डा और दुमका जिलों में आदिम पहाड़िया जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं। राज्य सरकार द्वारा इनके संरक्षण और संवर्धन के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं लेकिन धरातल पर उसका लाभ लोगों को मिल रहा है या नहीं, यह बड़ा सवाल है। बता दें कि कुछ महीने पहले साहिबगंज जिले में अलग-अलग गांवों में पहाड़िया समुदाय के लोग डायरिया का शिकार हो रहे थे। करीब आधा दर्जन लोगों ने अपनी जान गंवाई।