द फॉलोअप डेस्क
भारत और पाकिस्तान के बीच तल्ख होते रिश्तों के बीच अब एक और बड़ा फैसला सामने आ सकता है। भारत लंबे समय से पाकिस्तान को जीवन रक्षक दवाओं और फार्मा उत्पादों की आपूर्ति करता रहा है, लेकिन अब इसे सीमित करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। भारत सरकार ने फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) को निर्देश दिया है कि वह पाकिस्तान को भेजी जा रही सभी दवाओं और फार्मा उत्पादों की एक विस्तृत सूची तत्काल तैयार करे।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने शुरू किए—जिनमें अटारी चेकपोस्ट बंद करना और पाक उच्चायोग में कर्मचारियों की संख्या घटाना शामिल है। इन सबके बीच भारत ने पाकिस्तान के साथ चल रहे व्यापारिक रिश्तों की व्यापक समीक्षा शुरू कर दी है।
दवाओं के निर्यात की समीक्षा
अब सरकार दवाओं के निर्यात को लेकर एक बड़ी रणनीति पर विचार कर रही है। फार्मास्युटिकल विभाग ने पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान को भेजी गई दवाओं की रिपोर्ट मांगी है, जिससे यह तय किया जा सके कि इन निर्यातों को सीमित किया जाए या पूरी तरह बंद कर दिया जाए। ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (DRAP) के अनुसार, पाकिस्तान में इस्तेमाल होने वाली दवाओं और कच्चे माल का 50 से 60 फीसदी हिस्सा भारत से आता है।
पाकिस्तान को निर्यात की जाने वाली दवाएं
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत से आने वाली कई दवाएं जीवन रक्षक श्रेणी में आती हैं और इनकी आपूर्ति रुकने से पाकिस्तान का हेल्थकेयर सिस्टम गहरे संकट में आ सकता है।
पाकिस्तान में हलचल
भारत की इस नई रणनीति से पाकिस्तान में चिंता का माहौल है। DRAP ने कहा है कि भारत की ओर से कोई औपचारिक पाबंदी नहीं लगाई गई है, लेकिन संभावित संकट से निपटने के लिए वैकल्पिक योजनाएं बनाई जा रही हैं। पाकिस्तान अब चीन, रूस और यूरोपीय देशों की ओर रुख कर रहा है, हालांकि विशेषज्ञ मानते हैं कि इन देशों से सप्लाई शुरू करने में वक्त और लागत, दोनों ज्यादा होगी।
पाकिस्तान की आपात रणनीति
भारत की ओर से लिया गया यह कदम एक बड़े रणनीतिक बदलाव की ओर संकेत करता है, जो न सिर्फ द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करेगा बल्कि पाकिस्तान के हेल्थकेयर ढांचे पर भी गंभीर असर डाल सकता है।