द फॉलोअप डेस्क
डीजीपी की नियुक्ति संबंधी जनवरी 2025 में राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियुक्ति नियमावली ही अनुराग गुप्ता को रिटायर करने का आधार बना है। नियुक्ति नियमावली को गलत करार देते हुए केंद्र सरकार ने अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल को रिटायर करने का फरमान जारी किया है। जानकार सूत्रों के अनुसार यूपीएससी से डीजीपी की नियुक्ति को लेकर हुए विवाद के बाद राज्य सरकार ने जनवरी 2025 में नयी नियुक्ति नियमावली को कैबिनेट से स्वीकृति प्रदान की थी। उस नियमावली के आधार पर झारखंड हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अध्यक्षता में चयन समिति का गठन किया गया। इस कमेटी में मुख्य सचिव, गृह सचिव के अलावा अन्य को सदस्य बनाया गया। लेकिन इस चयन समिति की बैठक में यूपीएससी का कोई मेंबर नहीं आया। ना हीं यूपीएससी की स्वीकृति ही ली गयी। जबकि पंजाब, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों द्वारा बनायी गयी नियुक्ति नियमावली में यूपीएससी के भी एक मेंबर को रखा गया है। आईपीएस अधिकारी अखिल भारतीय सेवा का अधिकारी होता है। उसका कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी केंद्र सरकार है। इसलिए अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी के बारे में बगैर केंद्र सरकार की अनुमति के लिए गए फैसले को नियमानुकूल नहीं माना गया है।
भूतलक्षी प्रभाव से डीजीपी मानने पर भी सवाल
नियमानुसार अगर किसी आईपीएस अधिकारी की 30 वर्ष की सेवा पूरी हो चुकी है और रिटायरमेंट में छह माह का समय शेष है तो राज्य सरकार उसे डीजीपी बना सकता है। फिर छह माह का कार्यकाल पूरा होने के बाद उसे अगले दो वर्ष तक डीजीपी पद पर सेवा विस्तार दे सकती है। लेकिन अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार के मामले में नियमावली की शर्तें मेल नहीं खाती है। अनुराग गुप्ता को दो फरवरी 2025 में नियमित डीजीपी बनाया गया। वह 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे थे। जब कार्यकाल छह माह नहीं बचा था तो किसी अधिकारी को कैसे डीजीपी बना दिया गया। अब अगर 26 जुलाई 2024 को, जब उन्हें प्रभारी डीजीपी बनाया गया था, उस तिथि से उनके कार्यकाल की गणना की जाए तो राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति नियमावली जनवरी 2025 में बनायी गयी। इसलिए भूतलक्षी प्रभाव से उनके कार्यकाल की गणना को भी नियम विरुद्ध माना गया है। 26 जुलाई 2024 को अनुराग गुप्ता को प्रभारी डीजीपी बनाया गया था। प्रभार को नियमित नियुक्ति में नहीं जोड़ा जा सकता है।
राज्य सरकार के पास अब क्या विकल्प
केंद्र सरकार के फैसले पर आपत्ति करते हुए राज्य सरकार केंद्र से विचार करने का आग्रह करे। दूसरा राज्य सरकार, केंद्र के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए। लेकिन इसके लिए मात्र बुधवार का समय शेष है। अगर राज्य सरकार कोर्ट जाती है तो कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वह इस मामले की कल ही सुनवाई करके, अपना कोई फैसला सुनाए।
डीजीपी पद की रेस में एमएस भाटिया सबसे आगे
अनुराग गुप्ता के मामले में अंतिम फैसला होने में अब मुश्किल से 17 घंटे का समय शेष है। केंद्र सरकार के फैसले के अनुसार 30अप्रैल की रात 12 बजे वह रिटायर कर जाएंगे। उसके बाद डीजी रैंक में राज्य सरकार के तीन आईपीएस अधिकारी हैं। एमएस भाटिया, अनिल पाल्टा और प्रशांत कुमार सिंह। इनमें एमएस भाटिया का नाम सबसे ऊपर लिया जा रहा है।
तकरार बढ़ने पर केंद्र वेतन रोक सकता है
आईपीएस अधिकारी का कंट्रोलिंग अथॉरिटी केंद्र सरकार है। अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच विवाद बढ़ता है तो केंद्र सरकार महालेखाकार कार्यालय को सूचना देकर वेतन भुगतान पर रोक लगा सकता है। वैसे अपुष्ट सूत्रों के अनुसार केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने एजी को अनुराग गुप्ता के रिटायरमेंट से संबंधित पत्र भी भेज दिया है। पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य सचिव अलप्पन बंदोपाध्याय को लेकर ममता बनर्जी की सरकार और केंद्र सरकार के बीच भी तकरार पैदा हुआ था। उस समय केंद्र सरकार ने बंदोपाध्याय को राज्य सरकार की प्रतिनियुक्ति रद्द करते हुए केंद्र में योगदान देने का आदेश जारी किया था। लेकिन बंदोपाध्याय ने सिविल सेवा से इस्तीफा देकर विवाद पर विराम लगा दिया। फिर ममता बनर्जी का एडवाइजर बन कर उनकी टीम में शामिल हो गए।