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CM नीतीश की इफ्तार पार्टी के विरोध में क्यों उतरे मुस्लिम संगठन, वक्फ संशोधन बिल से इसका कनेक्शन समझिये

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द फॉलोअप डेस्क 
बिहार के कई प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने का फैसला किया है। ये संगठन वक्फ संशोधन बिल 2024 के समर्थन को लेकर नाराज हैं और इसके विरोध में आज होने वाली इफ्तार पार्टी में शामिल नहीं होंगे।  
इमारत-ए-शरिया समेत ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा हिंद, जमीयत अहले हदीस, जमात-ए-इस्लामी हिंद, खानकाह मुजीबिया और खानकाह रहमानी ने एक संयुक्त पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। पत्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को याद दिलाया गया है कि उन्होंने धर्मनिरपेक्ष शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा के वादे पर सत्ता हासिल की थी। लेकिन अब भाजपा के साथ गठबंधन और वक्फ संशोधन बिल का समर्थन उनके उन्हीं वादों के खिलाफ है।   

पत्र में कहा गया कि "इफ्तार की दावत सद्भावना और भरोसे को बढ़ावा देने के लिए होती है, लेकिन यह सिर्फ औपचारिक दावतों से नहीं, बल्कि ठोस नीतियों और सही फैसलों से होता है।"  
"आपकी सरकार मुसलमानों की जायज मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जिससे इस तरह की औपचारिक दावतें बेमानी हो जाती हैं।"  
"हम इस वक्फ संशोधन बिल का पूरी तरह विरोध करते हैं और आपसे मांग करते हैं कि इसका समर्थन तुरंत वापस लिया जाए।"  
संगठनों का कहना है कि अगर यह संशोधन लागू हुआ, तो इससे शैक्षणिक संस्थान, अस्पताल, महिलाओं के केंद्र और धार्मिक स्थलों पर बनी सदियों पुरानी वक्फ संपत्तियां खत्म हो जाएंगी। इससे मुस्लिम समुदाय में गरीबी और अभाव और बढ़ेगा, जैसा कि पहले भी सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में बताया गया है। संगठनों ने कहा कि यह पत्र अन्याय के खिलाफ हमारा सख्त विरोध है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम बातचीत से इनकार कर रहे हैं। यदि बातचीत से सही हल निकल सकता है, तो हम तैयार हैं। 

नीतीश कुमार और JDU को ठहराया जाएगा जिम्मेदार  
इन संगठनों ने साफ कहा कि अगर यह बिल कानून बनता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी पार्टी JDU की होगी। उन्होंने यह भी कहा कि हम इस कानून के खिलाफ कानूनी, लोकतांत्रिक और राजनीतिक तरीकों से विरोध जारी रखेंगे। 


 

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