द फॉलोअप डेस्क
बिहार के पारंपरिक और विशिष्ट उत्पादों को अब अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलने का रास्ता साफ हो गया है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) सबौर में मंगलवार को आयोजित 9वीं उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में यह घोषणा की गई कि राज्य के 7 प्रमुख उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग दिलाने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
किसानों को मिलेगा उत्पाद का सही मूल्य
इस बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा कि यह कदम बिहार की समृद्ध कृषि और खाद्य विरासत को संरक्षण देने के साथ ही उसे वैश्विक पहचान दिलाने में मददगार साबित होगा। GI टैग न केवल इन उत्पादों की विशिष्टता को कानूनी सुरक्षा प्रदान करेगा। बल्कि बिहार के किसानों और व्यापारियों को उनके परंपरागत उत्पादों का सही मूल्य दिलाने में भी सहायता करेगा।इन उत्पादों को मिलेगा GI टैग
इस संबंध में GI सुविधा केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ एके सिंह ने बताया कि पटना दुधिया मालदा आम, मालभोग चावल और सिंघाड़ा के लिए GI रजिस्ट्रेशन आवेदन सफलतापूर्वक तैयार कर चेन्नई स्थित GI रजिस्ट्री कार्यालय को भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि इन तीन उत्पादों के अलावा 4 अन्य उत्पादों के GI टैग के लिए दस्तावेज भी लगभग तैयार हो चुके हैं।
इन 4 उत्पादों में पिपरा का खाजा शामिल है, जो अपनी अनूठी बनावट और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। दूसरा है तिलौरी, जो तिल और गुड़ से बनता है। तीसरा है अधोरी, जो भोजपुर क्षेत्र का खास उत्पाद है और चावल के आटे तथा मसालों से बनता है। चौथा है बिहार का ठेकुआ, जो खासकर छठ पूजा के दौरान बनाया जाता है और बिहार की संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन सभी उत्पादों के GI टैग के लिए दस्तावेज तैयार हैं और इन्हें जल्द ही GI टैग मिलने की संभावना है।
GI आवेदन की प्रक्रिया की हुई समीक्षा
वहीं, बैठक के दौरान कुलपति डॉ डीआर सिंह ने GI आवेदन की प्रक्रिया की समीक्षा की। साथ ही पंजीकरण प्रक्रिया को तेज करने के लिए अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो संबंधित मंत्रालय से संपर्क किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की देरी से बचा जा सके। बैठक के अंत में डिप्टी डायरेक्टर ऑफ रिसर्च ने सभी अधिकारियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। इस महत्वपूर्ण मौके पर PRO डॉ राजेश कुमार सहित कई उच्च अधिकारी भी उपस्थित थे।
उत्पादों को मिलेगी कानूनी मान्यता
जानकारी हो कि GI टैग से इन उत्पादों को कानूनी मान्यता मिलेगी, जिससे नकल करने वाले उत्पादों पर रोक लगेगी। इसके अलावा बाजार में इनकी मांग बढ़ेगी। इसके साथ ही बिहार के किसानों और व्यापारियों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी।