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SC ने आनंद मोहन की रिहाई के ओरिजनल रिकॉर्ड मांगे, अब 8 अगस्त को होगी सुनवाई

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द फॉलोअप डेस्क
पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के नोटिस का जवाब देने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने बिहार सरकार से आनंद मोहन की रिहाई के ओरिजनल रिकॉर्ड पेश करने कहा, जिसके आधार पर पूर्व सांसद को छोड़ा गया है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि तीन महीने की तारीख दी है। इसके बाद कोई समय नहीं दिया जाएगा। यानि अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।  जस्टिस जेएस पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने मामले की सुनवाई की सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए पूर्व सांसद ने सीनियर एडवोकेट एपी सिंह को हायर किया था। बताते चलें कि गोपालगंज के तत्कालीन DM जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर 8 मई को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी ने पहली सुनवाई की थी। तब बिहार सरकार और आनंद मोहन दोनों को नोटिस जारी किया था।

जानें कैसे हुई आनंद मोहन की रिहाई
हाईकोर्ट ने डीएम हत्याकांड मामले में आनंद मोहन को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके तहत उन्हें 14 साल की सजा हुई थी। आनंद ने सजा पूरी कर ली थी। लेकिन जैन मैनुअल के अनुसार सरकारी कर्मचारी की हत्या के मामले में दोषी को मरने तक जेल में ही रहना पड़ता है। मगर इस नियम में नीतीश सरकार ने बदलाव कर दिया। 10 अप्रैल को राज्य सरकार ने इस मैनुअल में बदलाव किया जिसके तहत आनंद मोहन समेत 27 दोषियों की रिहाई हुई। हालांकि, आनंद मोहन पर 3 और केस चल रहे हैं, लेकिन इनमें उन्हें पहले से बेल मिल चुकी है।

जाने पहले क्या था नियम
26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 481(i) (क) में कई अपवाद जुड़े, जिसमें काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में आजीवन कारावास भी था। नियम के मुताबिक ऐसे मामले में सजा पाए कैदी की रिहाई नहीं होगी और वह सारी उम्र जेल में ही रहेगा।

यह किया गया बदलाव
10 अप्रैल 2023 को जेल मैनुअल सेकाम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्याअंश को हटा दिया गया। जिसके बाद आनंद मोहन सहित उनके जैसे सभी कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ हुआ है।

1994 में हुई थी जी कृष्णैय्या की हत्या
1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैय्या महबूबनगर के निवासी थे। यह अब तेलंगाना में आता है। पांच दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर में लोगों की भीड़ ने डीएम जी कृष्णैय्या की हत्या कर दी थी। जिस भीड़ ने डीएम की हत्या की थी उसका नेतृत्व आनंद मोहन कर रहा था। जिसके चलते आनंद मोहन के खिलाफ अदालत में सुनवाई हुई और साल 2007 में ट्रायल कोर्ट ने मौत की सजा सुना दी। मगर 2008 में पटना हाईकोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। वहीं, अब बिहार सरकार ने नियमों में बदलाव कर आनंद मोहन को जेल से रिहा कर दिया है। इसको लेकर ही हंगामा मचा हुआ है।

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