द फॉलोअप डेस्क
राजधानी रांची में रविवार को एक सीआरपीएफ 133 बटालियन के जवान बसंत कुमार ने सल्फास की गोली खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की। पारस अस्पाताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। मरने से पहले बसंत ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि उसके डिप्टी कमांडर मृत्युंजय कुमार उसे बीते 1 महीने से प्रताड़ित कर रहा था, इसी से तंग आकर उसने यह कदम उठाया। उसने बताया कि डिप्टी कमांडर उसे मेस का बिल एडजस्ट करने को कहते थे। जिससे वह तनाव में थे।
एसपी को पत्र लिखकर डिप्टी कमांडेंट को कड़ी सजा देने की मांग की
बसंत ने पुलिस को बताया कि उसने अपने व्हाट्सएप पर एक लेटर लिखा है,जिसे उसने अपने बेटे को भेज दिया। बसंत ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि वह 133 बटालियन सेक्टर टू धुर्वा, रांची में मेस कमांडर के रूप में कार्यरत है। उस मेस के डिप्टी कमांडर (एडीएम) मृत्युंजय कुमार सचिव हैं, वह पिछले एक माह से मुझे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे है। उनका मेस का बिल लगभग 9000 रुपये है। लिकर का बिल 6926 रुपये और नकद 6050 रुपये, कुल मिलाकर उनका 21,976 रुपये बकाया है। वह हमेशा कहते हैं कि उक्त राशि को एडजस्ट करो। मैं इतना छोटा कर्मचारी इतने रुपया कहां से एडजस्ट करता। इस बात से मैं तनाव में था। इस वजह से सुसाइड करने के अलावा मेरे पास कोई उपाय नहीं है। बसंत ने आगे लिखा कि सीआरपीएफ में मैं बहुत छोटा कर्मचारी हूं। हमारी बातों का दबाया जाता है। इसी कारण बराबर सीआरपीएफ में सुसाइड करने के लिए जवान मजबूर हो जाता है। इसके साथ ही बसंत ने एसपी को भी पत्र लिखा है जिसमें उसने डिप्टी कमांडेंट को कड़ी सजा देने की बात कही है।
सीआरपीएफ कैंप में दी गई अंतिम सलामी
बता दें कि बसंत मूलरूप से बिहार के वैशाली जिले के धरधरा गांव का रहने वाला था। उसे एक बेटी और एक बेटा है। बसंत कुमार की मौत के बाद उनके पुत्र ऋतु राज का बयान लेकर जगन्नाथपुर पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके पुत्र को सौंप दिया गया। पोस्टमार्टम के बाद बसंत कुमार का शव सीआरपीएफ कैंप ले जाया गया, जहां उन्हें अंतिम सलामी दी गयी।