पटना:
मुख्यमंत्री के नीतीश कुमार के अध्यक्षता में मंगलवार को सर्वदलीय बैठक हुई। जिसके 24 घंटे के भीतर ही राज्य सरकार ने जातीय जनगणना को मंजूरी दे दी है। सरकार ने फैसला लिया है कि 500 करोड़ खर्च कर 9 महीने में प्रदेश की करीब 14 करोड़ आबादी की जाति की गिनती कर जाएगी। बताया जा रहा है कि इस दौरान जाति जनगणना के साथ आर्थिक जनगणना भी की जाएगी। गुरूवार को कैबिनेट की ओर से मंजूरी मिलने के बाद इससे जुड़ी तैयारियां शुरू कर ली गई है।
फरवरी 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य
राज्य के चीफ सेक्रेटरी आमिर सुबहानी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जातीय जनगणना कराने की जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग को दी गई है। प्रत्येक जिले के जिलाधिकारी इसके नोडल अधिकारी के रूप में काम करेंगे। चीफ सेक्रेटरी ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराने का प्रस्ताव स्वीकृत कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस गणना में कुल 500 करोड़ खर्च किये जाएगें। और फरवरी 2023 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य लिया गया है।
कर्नाटक मॉडल का भी जिक्र हुआ
सुबहानी ने बताया कि गणना कराने की पूरी प्लानिंग चल रही है। राज्य के सभी दलों के नेताओं को समय-समय पर जाति गणना की चल रही प्रक्रिया की जानकारी दी जाती रहेगी। इस बारे में कर्नाटक मॉडल का जिक्र भी आया। कहा गया कि कर्नाटक की तरह बिहार सरकार भी ऐसी पहल कर सकती है। दरअसल, कर्नाटक की सिद्दरमैया सरकार ने 2014 में जातीय जनगणना शुरू की थी। इसका विरोध हुआ तो इसका नाम बदलकर ‘सामाजिक एवं आर्थिक’ सर्वे कर दिया। 2017 में आई इसकी रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई, क्योंकि इसमें 192 से अधिक नई जातियां सामने आ गई थीं।