द फॉलोअप डेस्क
नीतीश सरकार को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा बढ़ाई गई आरक्षण सीमा को रद्द कर दिया है। पटना हाईकोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में जाति आधारित आरक्षण बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने वाले कानून को रद्द कर दिया है। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसपर सुनवाई पूरा कर 11 मार्च को फैसला सुरक्षित कर लिया था।
क्या बोला हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 को अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता खंड का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार ने 2023 में बिहार विधानमंडल द्वारा लाए गए संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
नवंबर 2023 में नीतीश कुमार ने की थी घोषणा
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 नवंबर 2023 को विधानसभा में घोषणा की थी कि सरकार बिहार में आरक्षण के दायरे को बढ़ाएगी। 50 फीसदी से इसे 65 या उसके ऊपर ले जाएंगे। सरकार कुल आरक्षण 60 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत करेगी। मुख्यमंत्री के ऐलान के तुरंत बाद कैबिनेट की मीटिंग बुलाई गई थी। ढाई घंटे के अंदर कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी। इसके बाद इसे शीतकालीन सत्र के चौथे दिन 9 नवंबर को विधानमंडल के दोनों सदनों से इसे पारित भी कर दिया गया था।