द फॉलोअप डेस्क
बिहार के बांका जिले में BPSC से बहाल 3000 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच हो रही है। जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों (BEO) को पत्र जारी कर तीन दिनों के अंदर सभी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की कॉपी जमा करने का निर्देश दिया है। इस जांच का कारण फर्जी प्रमाण पत्रों और गलत आरक्षण के लाभ लेकर नौकरी पाने की शिकायतें हैं। कुछ शिक्षकों पर बिना योग्यता के उच्च पदों पर नियुक्ति का भी आरोप है।
3000 शिक्षकों से मांगे गए सर्टिफिकेट
बांका के DEO ने सभी BEO को पत्र लिखकर BPSC के माध्यम से नियुक्त हुए सभी 3000 शिक्षकों के प्रमाण पत्र मांगे हैं। यह आदेश BPSC की ओर से आयोजित दोनों चरणों की परीक्षाओं से बहाल शिक्षकों पर लागू है। BEO को तीन दिनों के भीतर सभी प्रमाण पत्रों की प्रतियां जिला कार्यालय में जमा करनी हैं। इसके बाद सभी प्रमाण पत्रों की गहनता से जांच की जाएगी। इस जांच के दायरे में शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता, आरक्षण का लाभ, TET और STET परीक्षा के अंक, नियुक्ति से जुड़े सभी जरूरी दस्तावेज शामिल हैं।
बिना M.A. के बन गए शिक्षक
इसके अलावा, लगभग एक दर्जन शिक्षक ऐसे हैं जिनके पास आवश्यक योग्यता नहीं है। उदाहरण के लिए, कुछ शिक्षक बिना MA की डिग्री के ही इंटर शिक्षक बन गए हैं। कुछ विद्यालयों में ऐसे शिक्षक भी हैं जिनके पास संबंधित विषय की डिग्री नहीं है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें कुछ शिक्षकों ने 2023 में TET या STET पास किया है, जबकि वे इससे पहले ही BPSC परीक्षा पास करके शिक्षक बन चुके थे। ऐसा लगता है कि उन्होंने नौकरी पक्की करने के लिए बाद में TET या STET परीक्षा पास की।
कागज में गड़बड़ी होने पर जाएगी नौकरी
बांका के स्थापना DPO संजय कुमार ने बताया कि BPSC से बहाल सभी शिक्षकों का प्रमाण पत्र तलब किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि BEO इसे तीन दिनों में संग्रह कर जिला कार्यालय में जमा करेंगे। ऐसे शिक्षकों की सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जानी है। यानी जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र फर्जी पाए जाएंगे या जिन्होंने गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लेकर नौकरी पाई है, उनकी नौकरी जा सकती है।