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उठी मांग : झारखंड के बजट में अल्पसंख्यकों के लिए उनकी आबादी के अनुरूप हो फंड: अली

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रांची।

अल्पसंख्यक मामलों के जानकार एस अली ने कहा कि झारखंड में अल्पसंख्यकों को उनकी 20 फीसदी आबादी के अनुरूप बजट में प्रावधान नहीं किया जाता है। जिसके चलते वो शैक्षणिक और आर्थिक उन्नति में पीछे रह जाते है।शिक्षा, रोजगार, कृषि, ग्रामीण विकास और दूसरी जन कल्याण की योजनाओं का समुचित लाभ उन्हें नहीं मिल पाता है। अली  करबला चौक स्थित इराकिया गर्ल्स स्कूल में एक बैठक में बोल रहे थे। इसका आयोजन संयुक्त मुस्लिम संगठन के बैनर तले किया गया था। जिसमें निहाल अहमद के संचालन में झारखंड के वित्तीय वर्ष  2022-2023 के बजट में अल्पसंख्यकों के फंड में बढ़ोतरी के विषय पर वक्ताओं ने अपनी-अपनी राय रखी।

 

 

अनुपूरक बजट में एक भी राशि नही

अली ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2021-2022 में कल्याण विभाग के कुल 186123.01 करोड़ के बजट में अल्पसंख्यकों के लिए मात्र 70 करोड़ 80 लाख बजट प्रवाधानित था, उसके अतिरिक्त मर्जिनल बजट 20 करोड़ और केन्द्र द्वारा 30 करोड़ दिये गये थे। वहीं अनुपूरक बजट में अल्पसंख्यकों के लिय एक भी राशि नही दी गई है। कृषि विभाग, ग्रामीण विकास, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण, स्वास्थ्य विभाग आदि विभागों में अल्पसंख्यकों के लिए बजट है भी या नहीं पता तक नहीं चलता। जबकि वित्तीय वर्ष 2021-2022 में  पड़ोसी राज्य बिहार में अल्पसंख्यकों के लिए 562.63 करोड़, पश्चिम बंगाल में 464.17 करोड़, उत्तर प्रदेश में 3007.88 करोड़ बजट प्रवाधानित था। 

 

 

इन्होंने भी रखे अपने विचार

बैठक के अध्यक्षता कर रहे हाजी हलीमुद्दीन ने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही लेकिन 21 वर्ष बाद भी उनकी शैक्षणिक और आर्थिक स्थिति में सुधार का प्रयास सरकारी सतह से नहीं हुआ। सेंट्रल मुहर्रम कमिटी महासचिव अकील-उर- रहमान ने कहा कि महागठबंधन सरकार आगामी बजट में अल्पसंख्यकों के विकास के लिए बजट प्रवाधानित करे। अबदुल मन्नान, मुफ्त अब्दुल्लाह अजहर कासमी, नफीसुल आबदीन, हाजी माशूक, अबदुल खालिक, हसन सैफी, रमजान अंसारी, इकबाल अंसारी, अहमद कशीश, मुसतक़ीम आलम, मुफ्ती उजैर, अब्दुल वहीद, आदिल रशीद, मोहम्मद नसीम, एजाज आलम, मोहम्मद मीर, नफीस अख़्तर, सरफुल खान आदि ने भी अपने विचार रखे।

 

मुख्यमंत्री से की गई मांग

बैठक में मुख्यमंत्री, संसदीय कार्य मंत्री, वित्त मंत्री और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री से मांग की गई है कि
हर जिला में सरकारी  अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय खोले जाएं, अल्पसंख्यक विधालयों के जीर्णोद्धार हेतू योजना,
मान्यता प्राप्त मदरसों में  गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और आधारभूत संरचना हेतू माॅडल मदरसा योजना, यूपीएससी,  जेपीएससी व अन्य  प्रतियोगिता परीक्षा हेतु कोचिंग खुले, कौशल विकास हेतु ट्रेनिंग,  राजधानी रांची में अल्पसंख्यक छात्राओं के लिए 200 बेड का छात्रावास बनाए जाएं। इसके अलावा अल्पसंख्यक किसानों के उत्थान हेतु कृषि उपकरण, खाद्य-बीच, ट्रेक्टर, पशु वितरण योजना, ग्रामीण क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों की भूमि पर सिंचाई हेतु डीप बोरिंग, कुआं, तालाब निर्माण योजना, अल्पसंख्यक बहूल क्षेत्रों में सड़क नाली पुल निर्माण योजना, अल्पसंख्यक क्षेत्र में समुदाय स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक वाचनालय, पुस्तकालय योजना, अल्पसंख्यक कब्रिस्तान चारदिवारी के साथ शेड निर्माण, पेयजल और सौर लाइट योजना संचालित की जाएं। वहीं बुनकरों के लिए सोबरन साड़ी लुंगी जैसे योजनाओं के लिए बजट में प्रवाधानित किया जाए।
 

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