रांची:
अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि राज्य में 65-70 फीसदी लोग भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, हिंदी और उर्दू बोलने वाले हैं। लम्बे वर्षों से राज्य में यह रह रहे हैं। आज इनकीतीसरी-चौथी है। सभी लोगों का वोटर कार्ड, आधार कार्ड, राशन कार्ड, स्कूली शिक्षा प्रमाण पत्र वर्षो से एकीकृत बिहार और झारखंड के नाम पर है। भाषाई विरोध और 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति बनाने की मांग करना बिल्कुल अनुचित और आधारहीन एवं असंवैधानिक है। सीएम हेमंत सोरेन को तत्काल शिक्षामंत्री को अविलंब बर्खास्त करना चाहिए।1932 का खतियान किसी को मंजूर नहीँ है। वह एचईसी धुर्वा लंका कॉलोनी में हुई अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच का जनजागरण बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि जनजागरण अभियान के तहत प्रत्येक तीसरे दिन एचईसी धुर्वा, हटिया बिरसा चौकख् हिनू, डोरंडा, हरमू और पुंदाग में अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच की बैठक होगी। 17 फरवरी को धुर्वा बस स्टैंड में डोमिसाइल आंदोलन में शहीद हुए दीपक बब्लू को श्रद्धांजलि दी जाएगी। जनजागरण अभियान के तहत मंच की बैठक 13 फरवरी को कांके स्थित कैंब्रियन स्कूल के समीप होगी, जिसमे 28 संगठन के लोग शामिल होंगे। बैठक दोपहर 12 बजे से शुरू होगी।
वक्ताओं ने कहा कि भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा और बिहारी के नाम पर निजी हमला कर लोगों को बांटना-लडाना बंद होना चाहिए। आजसू और बीजेपी का राष्ट्रपति को मेमोरेंडम देकर झारखंड में भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका भाषा को राज्य में मान्यता नहीं देने की मांग करना बेहद शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है।
बैठक में सुनील पांडेय, कमल ठाकुर, विशाल सिंह, राजेंद्र सिंह, टी एन ओझा, गौरीशंकर यादव, सुबोध ठाकुर, लालबाबू यादव, प्रमोद कुमार, अमित ओझा, रवि शंकर, दीपक राय, गोलू सिंह, सतीश ओझा, राजकिशोर सिंह, देवकुमार यादव, चंदेश्वर प्रसाद, बीएल पासवान, मुखराम राम, रामब्यास सिंह, अजीत यादव, बीटू पासवान आदि मौजूद थे।