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प्रतिकार : 1932 खतियान के विरोध और भाषाई अस्मिता के लिए 6 मार्च को झारखण्ड बंद का लिया निर्णय

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रांची:

अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के बैनर तले आज हरमू विद्यानगर (रांची) में प्रतिकार सभा हुई। मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव की अध्यक्षता में 1932 खतियान का विरोध करने और भाषाई अस्मिता के लिए 6 मार्च को सम्पूर्ण झारखण्ड को बंद रखने का फैसला किया गया। सभा में रांची के अलावा जमशेदपुर गिरिडीह बोकारो धनबाद सिमडेगा पलामू चतरा गोड्डा सहित अन्य जिलों से आए प्रतिनिधिगण मौजूद रहे। मंच के सचिव योगेंद्र शर्मा के बयान में बैठक में 28 संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की बात कही गई है।


प्रतिकार सभा में मंच ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया है कि अब सभी 24 जिलों में द्वितीय राजभाषा भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका एवं हिंदी को उर्दू की तर्ज पर क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने तथा 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति के आधारहीन व असंवैधानिक मांग के विरोध में झारखण्ड बंद बंद का आह्वान किया जाता है।

मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि राज्य में भाषाई विवाद और 1932 खतियान  जैसे विषय हेमन्त सरकार द्वारा निश्चित रूप से प्रायोजित है। क्योंकि शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो लगातार खतियान और भाषा के नाम पर बरसों से झारखंड में रह रहे बिहारियों के खिलाफ बोलते रहते हैं। जयहिंद पार्टी के बबन चौबे ने कहा कि जबतक हेमन्त सरकार अपने फैसले को निरस्त नहीं करेगी तबतक राज्यभर में चरणबद्ध तरीके से जिलास्तर पर प्रतिकार सभा की जाएगी।
जेडीयू नेता उपेन्द्रनाराय सिंह ने कहा कि हेमन्त सरकार भोजपुरी मगही हटाने के निर्णय को वापस ले लेती है तो झारखंड बंद को स्थगित कर दिया जाएगा।