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भाषा विवाद : बिहारियों की पहचान है भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका: कैलाश यादव

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रांची:
अखिल भारतीय भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा कि भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका भाषा बिहारियों की पहचान है। भाषाई अस्मिता को समाप्त करने की हेमन्त सरकार की साजिश कामयाब नहीं होने दी जाएगी। अब 24 जिलों में भोजपुरी, मगही, मैथिली और अंगिका को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने एवं नौकरियों के लिए व्यापक पैमाने पर जनांदोलन किया जाएगा। सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस, जेएमएम, बीजेपी सहित अन्य पार्टियों की जवाबदेही तय करनी पड़ेगी, उन्हें खुलकर सरकार का विरोध करना होगा। कैलाश यादव मंच की संकल्प व श्रद्धांजलि सभी की अध्यक्षता कर रहे थे। धुर्वा बस स्टैंड पर आयोजन किया गया था। 


यादव ने कहा कि भाषा के सम्मान के लिए हर उचित फोरम का दरवाजा खटखटाया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर बिहार-यूपी सहित अन्य जगह के नेताओं से मुलाकात कर जनांदोलन को गति प्रदान की जाएगी।सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी द्वारा 24 जुलाई 2002 को 1932 का खतियान आधारित डोमिसाइल नीति लागू करने के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान शहीद दीपक बबलू और आरके सिंह की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

मंच द्वारा निर्णय लिया गया कि धुर्वा बस स्टैंड पर तीनो शहीद दीपक बबलू और आरके सिंह की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। कार्यक्रम में बबन चौबे, लालबाबू सिंह, राजकिशोर सिंह यादव, बीएल पासवान, सुबोध ठाकुर, सरजू प्रसाद, मुकेश वर्मा, रामकुमार यादव, सुरेश राय, सुनील कुमार, चंद्रिका यादव, रवि राम, राजेंद्र प्रजापति, मोतीलाल चौधरी, हरेंद्र यादव, नंदजी प्रसाद, सुनील कुमार, अमित ओझा, सोमांशु शेखर, अनुराग शर्मा, विष्णु चौबे, सूर्यदेव तिवारी, टीनू झा, अनिल सिंह सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।
 

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