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अजब-गजब : 8 महीने से चल रहा था फर्जी थाना, नकली महिला थानेदार बोली- हेमंत सोरेन ने की है नियुक्ति

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डेस्क: 

मिलिये बिहार की आत्मनिर्भर पुलिस से। वर्दी में खड़े ये लोग बिहार के बांका के आत्मनिर्भर पुलिसकर्मी हैं। ये सुनकर आप जितने हैरान हुए होंगे, मामला उससे कहीं ज्यादा दिलचस्प है। दरअसल, बात ये है कि पूरा देश इस समय आत्मनिर्भरता के झूले में झूल रहा है। स्वरोजगार के नारों की चाशनी में डूबा है। आज तक फर्जी पुलिस का मामला तो सुना था लेकिन पूरा का पूरा थाना ही फर्जी हो, ये तो आत्मनिर्भरता की पराकाष्ठा हो गई। 

8 महीने से चल रहा था फर्जी थाना
आत्मनिर्भर पुलिस के स्वरोजगार का आलम तो देखिये। कोई डीएसपी बन गया तो कोई इंस्पेक्टर। किसी ने दारोगा की वर्दी पहन ली तो किसी को चौकीदार बना दिया। ऐसा भी नहीं है कि ये लोग चोर-पुलिस, चोर-पुलिस खेल रहे थे। ये लोग बकायदा केस निपटा रहे थे। झगड़ा हो या हो फसाद। बवाल हो या विवाद। बिहार के बांका का ये आत्मनिर्भर थाना, पूरी तत्परता से मामलों का निपटारा भी कर रहा था। हैरानी होती है जानकर। एक शहर में पूरा का पूरा थाना ही फर्जी तरीके से संचालित किया जा रहा था और किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई। वो तो भला हो बांका के नगर थाना प्रभारी शंभू यादव का जिनकी पैनी निगाह 8 महीने से चल रहे इस फर्जी थाने पर पड़ी और राज का पर्दाफाश हो गया।

होटल में संचालित हो रहा था थाना
बांका में फर्जी थाना अलीबाग इलाके के एक होटल में संचालित किया जा रहा था। इन लोगों ने पटना स्कॉउट पुलिस के नाम से रजिस्ट्रेशन करा रखा था। फर्जी पुलिसकर्मी इतनी टिपटॉप वर्दी में रहते थे कि एकबारगी असली वाली पुलिस भी चाय कम पानी लगे। अच्छा। बिहार पुलिस की मुस्तैदी की भी दाद दीजिए। असली वाले बांका थाना से आत्मनिर्भर बांका थाना की दूरी महज आधा किमी है। पिछले 8 महीने से यहां चोर-पुलिस खेला जा रहा था तो कानून के रखवालों को अब पता चला। 

असली और नकली थाने में क्या था फर्क! 
असली पुलिस थाना और फर्जी पुलिस थाना में क्या फर्क था मालूम। इस आत्मनिर्भर थाने में दारोगा सरकारी रिवॉल्वर नहीं बल्कि देशी कट्टा लेकर चलती थी। मतलब, केवल आत्मनिर्भरता और स्वरोजगार ही नहीं बल्कि वोकल फॉर लोकल का भी पूरा खयाल रखा गया था। यहां, पुलिसकर्मियों को वेतन के लिए महीने के अंत का इंतजार नहीं करना होता था बल्कि, रोज शाम को उन्हें उनकी सैलरी मिल जाती थी। 500 रुपये दिहाड़ी। तो, यहां केवल एक्शन ही नहीं बल्कि वेतन भी ऑन द स्पॉट ही मिलता था। 

नकली महिला दारोगा का कबूलनामा
अच्छा। अब सबसे जरूरी बात सुनिये कि यहां पुलिसकर्मियों की भर्ती कैसे की गई। कमर में सरकारी रिवॉल्वर की जगह देशी कट्टा लिए घूम रहीं दारोगा महोदया ने बताया है कि उनकी नौकरी कैसे लगी। यदि आप कुर्सी में बैठे हैं तो मैडम साहिबा की बात सुनकर हंसते-हंसते नीचे गिर पड़ेंगे। इसलिए पहले कोई सुरक्षित जगह ढूंढ़ कर आराम से बैठ जाइये।  

मुख्यमंत्री का नाम लेकर हो रही थी ठगी
इस फर्जी अथवा आत्मनिर्भर महिला दारोगा का नाम अनीता देवी है। दारोगा बनाने के एवज में अनीता से 55 हजार रुपये लिए गये। अनीता का कहना है कि उसने कई बार बिहार के सीएम नीतीश कुमार और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन से बात की है, इसलिए उसे पता ही नहीं चला कि ठगी हुई है। जाहिर है, अनीता के साथ कोई शख्स मुख्यमंत्री बनकर बात करता था। सोचिए जरा! मामला कितना गंभीर और संवेदनशील है। सुरक्षा के लिहाज से ये कितना खतरनाक है। 

पुलिस ने मामले में पांच लोगों को पकड़ा
मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। फर्जी डीएसपी बने युवक का नाम आकाश है। आकाश, भागलपुर जिला के सुल्तानगंज थानाक्षेत्र अंतर्गत खानपुर गांव का रहने वाला है। फर्जी महिला दारोगा का नाम अनीता देवी है। अनीता फुल्लीडुमर थानाक्षेत्र के दूधघटिया गांव की रहने वाली है। सिपाही बना युवक फुल्लीडूमर थानाक्षेत्र अंतर्गत लौंडिया गांव का रहने वाला है।

फर्जी मुंशी जूली कुमारी फर्जी डीएसपी आकाश के ही गांव की रहने वाली है। फर्जी चपरासी वकील मांझी फुल्लीडुमर थानाक्षेत्र के पथाय गांव का रहने वाला है। इन सबको गिरफ्तार किया गया है। जरूरी कार्रवाई जारी है।