रेणुग्राम पहुँचते ही यह अनुभव हुआ मानो किसी साहित्यिक तीर्थ पर आ गया हूँ। वह आंगन, वह दालान, जहां रेणु जी बैठकर गांवों की कहानियां रचते थे, वहां बैठते ही एक अद्भुत ऊर्जा ने मन को भावविभोर कर दिया। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वे आज भी इसी गांव के किसी कोने से कोई