logo

पहलवानों का भविष्य सुरक्षित नहीं, सम्मान लेकर क्या करूंगा; बजरंग पुनिया ने लौटाया पद्मश्री अवॉर्ड

bajrang2.jpg

द फॉलोअप डेस्क
बृजभूषण शरण सिंह के सहयोगी संजय सिंह को WFI का अध्यक्ष बनाए जाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गुरुवार को इस ऐलान के बाद साक्षी मलिक ने पहलावी से संयास ले लिया। वहीं आज बजरंग पूनिया ने अपने पद्मश्री पुरस्कार लौटा दिया। शुक्रवार यानि आज उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि WFI के यह चुनाव बताता है कि पहवानों का भविष्य अब सुरक्षित नहीं है। उन्होंने ट्वीट पर एक पोस्ट लिखकर अपने सम्मान को लौटाने का ऐलान किया है। 


मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं

बजरंग पूनिया ने ट्वीट कर लिखा है कि मैं अपना पद्मश्री पुरस्कार प्रधानमंत्री को वापस लौटा रहा हूं। कहने के लिए बस मेरा यह पत्र है लेकिन यही मेरी स्टेटमेंट है। जो पत्र बजरंग पूनिया ने लिखा है उसमें उन्होंने कहा है कि हम सबपर बहुत दबाव आ रहा था। हमारे प्रदर्शन स्थल को तहस नहस कर दिया गया और हमें दिल्ली से बाहर खदेड़ दिया गया और हमारे प्रदर्शन करने पर रोक लगा दी गई। जब ऐसा हुआ तो हमें कुछ समझ नहीं आया कि हम क्या करें। इसलिए हमने अपने मेडल को गंगा में बहाने का फैसला लिया था। जब हम वहां गए तो हमारे कोच साहिबान और किसानों ने हमें ऐसा नहीं करने दिया। उसी समय आपके एक जिम्मेदार मंत्री का फोन आया और हमें कहा गया कि हम वापस आ जाएं। इसी बीच हमारे गृहमंत्री जी से भी हमारी मुलाकात हुई, जिसमें उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वे महिला पहलवानों के लिए न्याय में उनका साथ देंगे और कुश्ती फेडरेशन से बृजभूषण, उसके परिवार और उसके गुर्गों को बाहर करेंगे।

हम सभी को रात रोते निकली,समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जीएं
21 दिसंबर 2023 को हुए कुश्ती संघ के चुनाव में बृजभूषण एक बार दोबारा काबिज हो गया है। उसने स्टेटमैंट दी कि "दबदबा है और दबदबा रहेगा।" महिला पहलवानों के यौन शोषण का आरोपी सरेआम दोबारा कुश्ती का प्रबंधन करने वाली इकाई पर अपना दबदबा होने का दावा कर रहा था। इसी मानसिक दबाव में आकर ओलंपिक पदक विजेता एकमात्र महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती से सन्यास ले लिया। हम सभी को रात रोते हुए निकली। समझ नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें और कैसे जीएं।

"सम्मान" मैं आपको लौटा रहा हूं

जिन बेटियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की ब्रांड अंबेसडर बनना था, उनको इस हाल में पहुंचा दिया गया कि उनको अपने खेल से ही पीछे हटना पड़ा। हम "सम्मानित" पहलवान कुछ नहीं कर सके। महिला पहलवानों को अपमानित किए जाने के बाद मैं "सम्मानित" बनकर अपनी जिंदगी नहीं जी पाउंगा। ऐसी जिंदगी कचोटेगी ताउम्र मुझे। इसलिए ये "सम्मान" मैं आपको लौटा रहा हूं।