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अंडा बेचकर गुजारा करने को मजबूर है अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी 'यमुना'

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द फॉलोअप टीम, धनबाद: 

झारखंड में खिलाड़ियों को प्रोत्साहन और संरक्षण देने का वादा तो वर्षों से किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत स्याह है। यहां कभी कोई अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी ईंट भट्टे पर मजदूरी करता नजर आता है तो कभी कोई खिलाड़ी चाय या अंडे की दुकान में काम करता दिखता है। ताजा मामला धनबाद का है। 

अंडा बेचकर गुजारा करता है अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी
धनबाद के निचितपुर टाउनशिप में रहने वाले अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो खिलाड़ी यमुना पासवान इन दिनों अंडा बेचकर आजीविका चलाने को मजबूर हैं। यमुना ने बताया कि देश-विदेश में कई पदक जीते। अवॉर्ड मिला। तारीफ मिली लेकिन आजीविका चलाने के लिए कोई सहायता नहीं मिली। कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से मजबूरन अंडा दुकान चलाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। 

बाइक दुर्घटना में जख्मी हो गया था दाहिना हाथ
अंतर्राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्लेयर रहे यमुना ने बताया कि बचपन से ही उनका मार्शल आर्ट के प्रति झुकाव था। पिता कारा पासवान भारत कोकिंग कोल लिमिटेड से रिटायर्ड हैं। उन्होंने ताइक्वांडो में 2018 में दक्षिण कोरिया ताइक्वांडो की अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता। 2019 में ईरान में प्रेसिडेंट कप में कांस्य पदक जीता। पौलेंड, इंग्लैंड, दक्षिण कोरिया, नेपाल, जॉर्डन और ईरान में हुई कई प्रतिस्पर्धा में पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया। इस बीच 2003 में एक बाइक दुर्घटना में उनका हाथ जख्मी हो गया। 

कमजोर आर्थिक स्थिति से टूट गया सुनहरा सपना
यमुना बताते हैं कि उनके मुश्किल दिनों की शुरुआत उस वक्त हो गई जब साल 2003 में एक बाइक दुर्घटना में उनका दाहिना हाथ जख्मी हो गया। हादसे की वजह से उनका हाथ काटना पड़ा। उस समय यमुना को लगा कि उनके सारे सपने बिखर गए। सब कुछ खत्म हो गया। उनका हौसला टूट सा गया लेकिन ऐसे वक्त में उनके कोच अमित रवानी ने उनका हौसला बढ़ाया। अब यमुना ताइक्वांडों में पैरालंपिक खेलों में पदक जीतना चाहते हैं लेकिन गरीबी आड़े आ रही है। 

पदक जीता तारीफ मिली लेकिन एक नौकरी नहीं मिली
यमुना बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए इतने पदक जीतने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली। बच्चों को ताइक्वांडो का गुर सिखाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोला था। स्कूलों में जाकर भी बच्चों को ताइक्वांडो सिखाते थे। दो साल से स्कूल बंद है। लॉकडाउन की वजह से ट्रेनिंग सेंटर भी बंद है। इस वजह से परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो गई। दो वक्त का रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया है। मजबूरी में यमुना को अंडे की दुकान लगानी पड़ी। उसी से घर चलता है। 

पैरालंपिक खेलों में स्वर्ण जीतना चाहते हैं यमुना
यमुना का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को सहायता मिलनी चाहिए। उनको वजीफा मिलना चाहिए। सरकार कम से कम एक अदद नौकरी दे ही सकती है ताकि कभी देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी को जिल्लत की जिंदगी ना जीनी पड़ी। यमुना का कहना है कि यदि उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी हो। उनको बेहतर सरकारी सुविधा और प्रशिक्षण मिले तो वे अभी भी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बढ़िया प्रदर्श करेंगे।