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अशोक पागल का नाटक बिंबसार भविष्य रचने वाली कृति: डॉ. अशोक प्रियदर्शी

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

वर्तमान में इतिहास की पुनर्रचना एक बेहतर भविष्य के लिए की जाती है। रंगकर्मी अशोक पागल की नाट्यकृति ‘बिम्बिसार’ इस दृष्टि से उल्लेखनीय है जिसे रंगमंच पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए। समाज और नई पीढ़ी को बार-बार पढ़ाया जाना चाहिए। ये बातें वरिष्ठ साहित्यकार और समीक्षक डा. अशोक प्रियदर्शी ने रविवार को एलईबीबी हाई स्कूल के हॉल में आयोजित ‘बिम्बिसार’ के लोकार्पण सह कृति चर्चा में कही। इसका आयोजन रांची की 50 साल पुरानी नाट्य संस्था ‘हस्ताक्षर’ द्वारा किया गया था। 

अतीत से सबक लेकर भविष्य को बनाएं बेहतर! 
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. प्रियदर्शी ने कहा कि वर्तमान की गलतियों को अतीत से सबक लेकर भविष्य को सुंदर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति है। कृति चर्चा के क्रम में वरिष्ठ आलोचक और कवि डॉ. विद्याभूषण ने ‘बिम्बिसार’ नाटक को अशोक पागल के 25 सालों के गहन शोध और अध्ययन की उपलब्धि बताया। वहीं, झारखंड के पहले हिंदी फिल्म निर्माता-निर्देशक और ‘रंगायन’ के बहुचर्चित रंगकर्मी डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि आज हमारा देश जिस स्थिति में है उससे निकलने के लिए सभी को ‘बिम्बिसार’ बन कर उलगुलान करने की जरूरत है।

दर्शकों-पाठकों को बांधे रखने वाला नाटक बिंबसार
नागपुरी की प्राध्यापक और झारखंड की वरिष्ठ अभिनेत्री शैलजाबाला के अनुसार कहानी, संवाद, दृश्यबंध आदि सभी दृष्टियों से ‘बिम्बिसार’ पाठकों और दर्शकों को बांधे रखने वाला नाटक है। संत जेवियर कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष और नाट्यकर्मी डॉ. कमल कुमार बोस ने कहा कि वे न केवल इसे मंचित करने का प्रयास करेंगे बल्कि नाटक को बीए-एमए के कोर्स में भी शामिल करेंगे। सुप्रसिद्ध कथाकार पंकज मित्र ने नाटक ‘बिम्बिसार’ को समकालीनता के संदर्भ में एक उल्लेखनीय रचना मानते हुए इसकी विशिष्टताओं पर प्रकाश डाला। 

मिथिलेश पाठक ने किया अतिथियों का स्वागत
इनके अलावा अश्विनी कुमार पंकज, श्रीप्रकाश, डॉ. नरेंद्र झा और वयोवृद्ध आचार्य डॉ. बिमला चरण शर्मा ने भी इस अवसर पर अपने उद्गार व्यक्त किए। आगत अतिथियों का स्वागत मिथिलेश कुमार पाठक ने किया जबकि संचालन का दायित्व जानी-मानी रंगकर्मी एस. मृदुला ने निभाया। आभार ज्ञापन ‘बिम्बिसार’ के नाटककार अशोक पागल ने किया। 

कार्यक्रम में दर्जनों लोगों ने लिया था हिस्सा
मौके पर शहर के शिशिर पंडित, विश्वनाथ प्रसाद, राकेश रमण, डॉ. रेमी, श्रीमती रेवा चक्रवर्ती, शोभा गुप्ता, सुजान पंडित, अनूप नाग, डॉ. रामप्रसाद, डॉ. रामकुमार तिवारी, ऋषि कांस्यकार, संजय लाल आदि अनेक रंगकर्मी, साहित्यकार और गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।