द फॉलोअप टीम
ये महज इतेफाक कहें या फिर झारखंड कांग्रेस की कार्यशैली या फिर इन सब के इतर विवाद से बचे रहने का तरीका। एक साल पूरा होने को है लेकिन प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने नई कमेटी का गठन नहीं किया है। ऐसा नहीं है कि रामेश्वर उरांव के कार्यकाल के दौरान ही ऐसा हुआ है बल्कि इससे पहले के अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार के समय में भी प्रदेश कांग्रेस की कमेटी का गठन नहीं किया गया था। ये माना जा रहा था कि विधानसभा चुनाव के बाद रामेश्वर उरांव कमेटी का गठन करेंगे लेकिन अबतक ऐसा होता दिख नहीं रहा है। इन सबके बीच झारखंड कांग्रेस की ओर से 31 जुलाई यानी लॉकडाउन खत्म होने के बाद फिर से सदस्यता अभियान चलाने का फैसला किया गया है। 10 लाख नए सदस्य बनाने का टारगेट रखा गया है।
आसान नहीं कमेटी का गठन करना
जानकारों की माने तो प्रदेश कांग्रेस कमेटी का गठन करना इतना आसान नहीं है, जितना समझा जा रहा है। पार्टी कई खेमे में बंटी है। ऐसे में सबको खुश रखते हुए कमेटी बनाना टेढ़ी खीर है। शायद रामेश्वर उरांव को अभी ये उपयुर्क्त समय नहीं लगता है कि वो इसकी पहल करें। क्योंकि ऐसे में बहुत मुमकिन है कि अंदरखाने की गुटबाजी सतह पर आ जाय जो कि सरकार में शामिल पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं होगी।
कई खेमे में बंटी है प्रदेश कांग्रेस
खेमेबाजी सतह पर आने की गुंजाइश इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पार्टी में सुबोधकांत, रामेश्वर उरांव, धीरज साहू, आलमगीर आलम, फुरकान अंसारी, गीता कोड़ा, ददई दुबई, और केएन त्रपाठी जैसे कई बड़े नेता हैं जो चाहते हैं कि कमेटी में उनके चहेतों को जगह मिले। इन सब के आलावा प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के भी कई करीबी हैं, जो संगठन में महत्वपूर्ण जगह पाने की हसरत पाले रखे हैं। यही वजह है कि जब-तब कमेटी बनने की सुगबुगाहट होती है, ये नेता लॉबिंग करते और दबाव बनाते हुए नजर आते हैं। नतीजा ये होता है कि मामला अटक जाता है। यही सिलसिला पिछले 3 साल से अबतक चल रहा है।
अगस्त तक होगा कमेटी का गठन-राजेश ठाकुर
हालांकि जब इस मसले पर कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि कोरोना और लॉकडाउन के कारण प्रदेशी कमेटी का गठन नहीं हो सका है लेकिन उन्होंने ये जरुर भरोसा दिलाया कि अगस्त तक कमेटी का गठन हो जाएगा। उन्होंने द फॉलोअप से बात करते हुए कहा कि सभी संबंधित लोगों से सूची मांगी गई है। कुछ ने सूची भेजी है जिसपर विचार कर कमेटी का गठन कर लिया जाएगा। वैसे कहा जाय तो जब कभी भी इस बाबत पूछा जाता है तो प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के ऐसे ही बयान सामने आते हैं। लेकिन धरातल पर कुछ नहीं उतर पाता। यही कारण है कि 3 साल का लंबा वक्त गुजर चुका है। इस बार देखना होगा कि अगस्त की डेडलाइन से पहले संगठन का विस्तार होता है या नहीं।