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रांची रेलवे गेस्ट हाउस कांड: पीड़िता की मां बोली- नहीं हुआ था रेप, किसके दवाब में बदला बयान!

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

रांची के चुटिया थानाक्षेत्र अंतर्गत आरपीएफ के उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मो शाकिब के आवास पर आरपीएफ जवान द्वारा नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में नया मोड़ आया है। पीड़िता की मां अपने पहले वाले बयान से पलट गई है। नाबालिग पीड़िता की मां का कहना है कि बच्ची के साथ दुष्कर्म नहीं किया गया बल्कि जवान छेड़छाड़ किया करता था। जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को रांची पुलिस ने नाबालिग पीड़िता की मां के साथ मुलाकात की थी। नाबालिग की मां ने कहा कि जवान ने उनकी बेटी का रेप नहीं किया बल्कि अश्लील वीडियो बनाया था और छेड़छाड़ करता था। 

पुलिस के सवाल पर पीड़िता की मां ने क्या कहा
पुलिस ने जब महिला से पूछा कि मामले की प्राथमिकी पुलिस के पास क्यों दर्ज नहीं करवाई तो उसने कहा कि हम गरीब लोग हैं। कहां कोर्ट-कचहरी दौड़ते रहें हे। वहीं मामले में सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष रूपा कुमारी ने कहा कि नाबालिग का बयान महत्वपूर्ण है। परिजनों के बयान पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती। जब तक नाबालिग पूरी तरह से सहज नहीं हो जाती तब तक उससे किसी को भी मिलने नहीं दिया जा सकता है। मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने रिपोर्ट मांगी है। रांची एसएसपी से मामले में एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट देने को कहा गया है। 

उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त के आवास पर हुई वारदात
गौरतलब है कि ये पूरा मामला रांची के चुटिया थानाक्षेत्र अंतर्गत रेलवे गेस्ट हाउस का है। यहां आरपीएफ के उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त मोहम्मद शाकिब के आवास पर नाबालिग बच्ची काम करती थी। आरोप है कि यहां तैनात जवान शंभूनाथ ने नाबालिग बच्ची का अश्लील वीडियो बना लिया। उस अश्लील वीडियो के आधार पर बच्ची को ब्लैकमेल कर जवान लगातार उसका दुष्कर्म करता रहा। बच्ची ने जब इसकी जानकारी अपनी मां को दी तब जाकर मामले का खुलासा हुआ। मामले में उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त की भूमिका भी संदिग्ध है। पहला सवाल तो बच्ची से घरेलु काम करवाने को लेकर खड़ा होता है। दूसरा सवाल ये कि पूरे मामले की जानकारी होने के बाद भी उपमुख्य सुरक्षा आयुक्त शाकिब ने पुलिस के पास प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करवाई। 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया संज्ञान
इस बीच मामले का संज्ञान राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया है। आयोग ने रांची एसएसपी से मामले में एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। इस वक्त बच्ची सीडब्लूसी के संरक्षण में है। सीडब्ल्यूसी की अध्यक्ष रूपा कुमारी का कहना है कि बच्ची इस वक्त सहज नहीं है। पूरी तरह से सहज होने पर ही मुलाकात की इजाजत मिलेगी। उन्होंने ये भी कहा कि मामले में पीड़िता का बयान मायने रखता है ना कि उसके परिजनो का। इधर मामले की उच्चस्तरीय जांच का जिम्मा आरपीएफ के डीआईजी डीके मौर्या करेंगे। डीके मौर्या रांची पहुंच चुके हैं। 

किसके दवाब में बयान बदल रही है पीड़िता की मांग
मामले में नाबालिग पीड़िता की मां का बयान बदलना कई सवाल खड़े करता है। बच्ची ने सबसे पहले मां को ही पूरी वारदात की जानकारी दी थी। तब उनकी मां ने कहा था कि उनकी बच्ची का अश्लील वीडियो बनाकर दुष्कर्म किया गया। अब वो कह रही हैं कि दुष्कर्म नहीं किया गया बल्कि केवल छेड़छाड़ की बात थी। सवाल वही है कि पीड़िता की मां ने या तो तब गलत बयान दिया था या अब गलत बयान दे रही हैं। यदि तब गलत बयान दिया था तो किसके इशारे पर ऐसा किया गया। यदि पीड़िता की मां अब गलत बयान दे रही है अथवा बयान बदल रही है तो किसके इशारे पर किया जा रहा है। क्या पीड़िता के परिवार पर किसी को बचाने का दवाब है।