द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
यूपी चुनाव के बढ़ते तापमान के साथ धर्म संसद का विवाद भी बढ़ता जा रहा है। पहले कांग्रेस नेता व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। जिसमें हरिद्वार धर्म संसद में नफरती भाषण देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और उत्तराखंड सरकार से पूछा था कि मामले में कार्रवाई क्यों नहीं हुई। अबतक क्या हुआ बताया जाए। इसके बाद 13 जनवरी जितेंद्र नारायण त्यागी (वसीम रिज़वी) को गिरफ्तार किया गया। जबकि डासना मंदिर के पुजारी और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि की शनिवार को गिरफ्तारी हुई है।
क्या लगाया है आरोप
अब ताजा खबर है कि मामले में एक और याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर अदालत से धर्म संसद की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर करने का आग्रह किया गया है। याचिकाकर्ताओं के नाम मेजर जनरल एसजी वोम्बटकेरे, कर्नल पीके नायर और मेजर प्रियदर्शी चौधरी हैं। तीनों भारतीय सशस्त्र बलों के सेवानिवृत अधिकारी हैं। याचिका में हरिद्वार और दिल्ली के धर्म संसदों के हवाले से कहा गया है कि देशद्रोही और विभाजनकारी भाषणों ने न केवल देश के आपराधिक कानून का उल्लंघन किया, बल्कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 पर भी हमला किया है. ये भाषण राष्ट्र के धर्म-निरपेक्ष ताने-बाने पर दाग लगाते हैं और सार्वजनिक व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने की गंभीर क्षमता रखते हैं।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि हरिद्वार में 17-19 दिसंबर 2021 के बीच एक ‘धर्म संसद’ हुई थी। जिसमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ नरसंहार का आह्वान किया गया था। इसका वीडियो वायरल होने पर 23 दिसंबर 2021 को इस संबंध में पहली प्राथमिकी दर्ज की गई थी। जिसमें सिर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी को नामजद किया गया था। प्राथमिकी में 25 दिसंबर 2021 को स्वामी धरमदास और साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडेय के नाम जोड़े गए। 1 जनवरी को इस एफआईआर में यति नरसिंहानंद और रूड़की के सागर सिंधुराज महाराज का नाम शामिल किया गया था। 2 जनवरी को विशेष जांच दल (एसआईटी) का भी गठन किया गया। 3 जनवरी को धर्म संसद के संबंध में 10 लोगों के खिलाफ दूसरी एफआईआर दर्ज की गई थी। जिसमें यति नरसिंहानंद गिरि, जितेंद्र नारायण त्यागी (जिन्हें पहले वसीम रिज़वी के नाम से जाना जाता था), सागर सिंधुराज महाराज, धरमदास, परमानंद, साध्वी अन्नपूर्णा, आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाण और प्रबोधानंद गिरि को नामजद किया गया।