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पर्यटन दिवस-2 : झारखंड के इन चार जिलों को इको टूरिज्म सर्किट के तेहत किया जाएगा विकसित

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इमाला शाज़ी, रांची:
झूमते जंगल। गीत गाते झरने। इठलाती नदियां। झारखंड की पहचान है। पर्यटकों को लुभाने के लिए सरकार ने चार जिले की 430 किलोमीटर की दूरी इको टूरिज्म सर्किट के तेहत विकसित करने की योजना बनाई है। इस योजना का नाम है, स्वदेश दर्शन। राज्य पर्यटन विभाग ने इसके लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। योजना को केंद्र सरकार से सहमति मिल चुकी है। केंद्र की एक टीम ने झारखंड का दौरा भी कर लिया है। पूर्व में आठ केंद्रों को टूरिज्म सर्किट के रूप में विकसित करने की योजना बनी थी, जिसे संशोधित कर छह केंद्रों को विकसित करने की नई योजना बनी है। 

 

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Photo Shahroz

पलामू, लातेहार, रांची और पूर्वी सिंहभूम के मार्फत स्वदेश दर्शन 
केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना में लातेहार, रांची, पूर्वी सिंहभूम और सरायकेला के छह पर्यटन केंद्रों को शामिल किया जाएगा। लातेहार के प्रसिद्ध बेतला पार्क, नेतरहाट व मिरचईया फॉल, रांची के गेतलसूद डैम, पूर्वी सिंहभूम के चांडिल डैम और सरायकेला दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाएगा। इन स्थलों पर पर्यटकों की सुविधाओं और आवागमन के साधन विकसित होंगे। सौंदर्यीकरण भी किया जाएगा।

 

पिकनिक के साथ एंज्वॉय करें पल
विकसिसत होने के बाद पर्यटकों को पिकनिक की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। बच्चों के मनोरंजन और खेल का पूरा ध्यान रखा जाएगा। वाटर स्पोर्ट्स आकर्षण का केंद्र होगा। बोटिंग के  भी इंतजाम किए जाएंगे। रेस्तरां में फास्ट फूड से लेकर देश के सभी राज्यों के व्यंजन उपलब्ध होंगे।। आराम के लिए रिसॉट भी बनाए जाएंगे। नेतरहाट में बस स्टैंड भी बनाया जाएगा। 


115 करोड़ रुपए की लागत, अर्थव्यवस्था को लाभ  
पूरी योजना में 115 करोड़ रुपए खर्च होंगे। सर्किट योजना के तहत पर्यटन केंद्रों के विकसित होने से राज्य की अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास होगा। इन जगहों पर बेमिसाल प्राकृतिक खूबसूरती है तो ढेरों संस्कृति महत्व वाले स्थकल हैं। धार्मिक महत्व के स्थल भी कई हैं। सरकार ईमानदारी से प्रयास करे तो एक आदर्श पर्यटन स्थल के रूप में राज्य विकसित हो सकता है।

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