द फॉलोअप टीम, रांचीः
एक तरफ सरकार कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी को लेकर बड़े-बड़े दावे करती दिखती है तो दूसरी तरफ झारखंड के मेडिकल कॉलेजों में कोविड से जुड़े दवाओं की किल्लत देखी जा रही है। जरूरी दवा भी नहीं इन अस्पतालों में नहीं मिल रही है। RIMS जहां कोविड के इलाज का हर प्रयोग किया जा रहा है वहीं इवरमेक्टिन, डॉक्सिसाइक्लिन, फेविपिराविर के साथ विटामिन, जिंक, कैल्शियम व सेट्रिजिन जैसी दवाएं खत्म हो गयी हैं।
पैरासिटामोल तक नहीं
RIMS के अलावा MGM, PMCH जैसे कॉलेजों का भी यही हाल है यहां भी पैरासिटामोल, प्रोविडिन, आयोडिन, गार्गल व रेनीटिडीन सरीखी जैसी मामूली दवाएं भी नहीं है। यह बात तब सामने आयी जब कुछ जिलों में तो कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर राज्य में की गई सभी तैयारियों की समीक्षा की जा रही थी। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक रमेश घोलप ने पदाधिकारियों को जल्द से जल्द दवाईयों की कमियों को दूर करने को कहा है।
स्टॉक भी खाली है
अस्पतालों मेडिकल कॉलेजों जहां सबसे ज्यादा मरीज भर्ती होते हैं, वहां जरूरी दवाएं नहीं हैं। दूसरी तरफ कई जिलों में जहां कम मरीज भर्ती हैं वहां दवाओं की भरमार है। जहां से दवाओं की आपूर्ति होती है वहां का स्टॉक भी खाली है । यहां 35 दवाओं में से 15 दवाएं खत्म है।