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केंद्र सरकार की नीतियों को जनविरोधी बताते हुए विपक्ष ने दिया राजभवन के समक्ष धरना

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द फाॅलोअप टीम, रांची:

रांची। आज पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत संयुक्त विपक्ष के द्वारा केन्द्र सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ एवं जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए झारखंड के राजभवन के समक्ष एक विशाल धरना का आयोजन किया गया। इस धरना कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर, कांग्रेस विधायक दल के नेता सह ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या, विनोद पांडेय, केडी सिंह, त्रिद्विव घोष, मासस के सुशांतो मुखर्जी, प्रकाश विपलव, दिनेश, प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा, जलेश्वर महतो, शहजादा अनवर, माले के सुभेन्दु सेन, सीपीआई के अजय सिंह, राजद के राजेश यादव, कमलेश यादव सहित बड़ी संख्या में सभी दलों के नेता उपस्थित थे। 

 

प्रदेश कांग्रेस कमिटी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि केंद्र सरकार के गलत नीतियों को विरोध करने के लिए हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं। पूरे देश में अविश्वास का वातावरण बन गया है। हर कोई एक दूसरे को शंका के निगाह से देख रहा है। महंगाई चरम पर है, बेरोजगारी का आंकड़ा 45 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ चुका है। किसान तीन कृषि काले कानून के विरोध में पिछले 09 महीनों से सड़को पर आंदोलित है। संवैधानिक संस्थाओं का छरण हो रहा है। केन्द्र सरकार संवैधानिक संस्थानों को बर्बाद करने में तुली है। ईडी और सीबीआई का गलत तरीके से इस्तेमाल मर देश के लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है। कुल मिलाकर हम यह कहे कि देश में अराजकता का माहौल है। 20 अगस्त को ही कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने गैर भाजपाई राजनैतिक दलों को एक मंच पर लाने का काम किया। श्री ठाकुर ने कहा कि आज इस संवेदनहीन सरकार को हम एकजुट होकर ही सत्ता से बेदखल कर सकते हैं। इस आंदोलन के माध्यम से हम धर्मनिरपेक्षता, संप्रभुता, लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रकट करते हैं। 


 

कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि केन्द्र में जब से भाजपा नीत सरकार आयी है लोग त्राहिमाम कर रहे हैं यही कारण है कि आज देश के कोने-कोने में प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक तमाम विपक्षीय पार्टियां जनता के मुद्दों पर आंदोलन के बाध्य है। पिछले नौ महीनों से ज्यादा समय से किसान आंदोलित हैं। प्रधानमंत्री को विदेश जाने के लिए समय मिल जाता है पर दिल्ली के दरवाजे पर बैठे किसानों से बातचीत का समय नहीं मिल पाता है। महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। मौद्रीकरण के नाम पर देश के परिसंपतियों को बेचने और अपने कारपोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने में केन्द्र सरकार व्यस्त है। उसके पास न तो किसानों के लिए समय है और न नौजवानों के लिए समय है, न मजदूरों के लिए समय है। हम सभी देश की आम जनता के भलाई के लिए काम करने वाले लोग हैं, इसलिए हम लोकतांत्रिक तरीके से इस अंधी-बहरी सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। 

 

झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि देश में वेस्टइंडिया की सरकार चल रही है जो सिर्फ और सिर्फ निहित राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति और अपने पूंजीपति मित्रों के व्यापारिक लाभ के लिए काम कर रही है। उसे देश की जनता की भलाई से कोई लेना देना नहीं है। 600 से ज्यादा किसानों की जान चली गई है, सरकार उनसे वार्ता करने के बजाय मॉनिटाइजेशन के नाम पर देश की परिसंपत्तियों को बेचने में व्यस्त है। कोरोनाकाल में भी केन्द्र सरकार ने सिर्फ लोगों के बीच भ्रम फैलाने का काम किया है। महंगाई बेतहाशा बढ़ रही है। महिलाओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़े हैं। नौजवानों को ठग कर सत्ता हासिल तो कर लिया लेकिन उन्हें रोजगार देने के बजाय पकोड़े तलने की सलाह दे डाली। केन्द्र सरकार के द्वारा संविधान प्रदत्त अधिकारों पर नित नये प्रयोग कर प्रहार किया जा रहा है। 

 

झामुके के केन्द्रीय महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि केन्द्र में जब से भाजपा सत्ता में आयी है तब से इस देश में सभी लोकतांत्रिक प्रक्रियों का हनन कर देश के संविधान को कुचलने का काम किया है। देश के अन्नदाताओं के चेहरे से मुस्कान छीनने का काम किया है। महंगाई, बेरोजगारी और देश के परिसंपत्तियों को बेचने के बजाय इनके पास कोई काम नहीं है।  कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष गीता कोड़ा, जलेश्वर महतो, शहजादा अनवर, केडी सिंह, भुवनेश्वर केवट, प्रकाश विपलव, प्रफुल लिंडा, राजेश यादव, रवीन्द्र सिंह, डॉ महुआ मांझी, राजीव रंजन प्रसाद, राकेश सिन्हा, आभा सिन्हा, सतीश पॉल मुंजनी, आदि ने भी संबोधित किया।  धरना में अमुल्य नीरज खलखो, सुरेश बैठा, संजय पांडेय, शमशेर आलम, सतीश पॉल मुंजनी, डॉ राकेश किरण महतो, संजय लाल पासवान, सलीम खान, अभिलाष साहू, अमरेन्द्र सिंह, बेलस तिर्की, प्रेम कुमार, कमल ठाकुर, मुस्ताक आलम, आश्विनी शर्मा, धमेन्द्र सिंह, कमलेश यादव, जय सिंह लुख्ंाड, अजय सिंह, राजन वर्मा, दिनेश लाल सिन्हा प्रवीण टोप्पो, दीपक ओझा, नीतिन सिरमोर, विशाल सिंह, राजीव प्रकाश चौधरी, गुलजार अहमद, कंाग्रेस, झामुमो, राजद, एवं वामपंथी पार्टियों के सक्रिय नेता एवं कार्यकर्ता बड़ी तदाद में शामिल हुए।

 

राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को सौंपा 11 सूत्री ज्ञापन 


1 भारत में सभी वैक्सीन उत्पादन की क्षमताओं को बढ़ाएं एवं टीकाकरण कार्यक्रम को सुनियोजित करें। विश्व स्तर पर टीकों की खरीद करें और मुफ्त सार्वभौमिक सामूहिक टीकाकरण अभियान को तुरंत तेज करंे, कोविड के कारण अपनी जान गंवाने वालों के लिए पर्याप्त मुआवजा प्रदान करें; सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली का व्यापक विस्तार करने के लिए आगे बढ़ें।  
2 केंद्र सरकार को आयकर दायरे से बाहर के सभी परिवारों को प्रति माह 7,500 रुपये का मुफ्त नकद हस्तांतरण लागू करे।  सभी जरूरतमंदों को दैनिक उपभोग की सभी आवश्यक वस्तुओं से युक्त मुफ्त भोजन किट वितरित करें।  
3 पेट्रोलियम और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में अभूतपूर्व वृद्धि को वापस ले, रसोई गैस और आवश्यक वस्तुओं, विशेष रूप से खाना पकाने के तेल की कीमतों को कम करे और तेजी से बढ़ती मुद्रास्फीति को नियंत्रित करें।  
4 तीन कृषि विरोधी कानूनों को निरस्त करें और किसानों को अनिवार्य रूप से एमएसपी की गारंटी दें।  
5 सार्वजनिक क्षेत्र के बेलगाम निजीकरण को रोक लगाए, श्रमिक और श्रमिक वर्ग के अधिकारों को कमजोर करने वाली श्रम संहिताओं को निरस्त करें। मेहनतकश लोगों के विरोध करने के अधिकार और वेतन सौदेबाजी के अधिकारों को बहाल करे। 

 


6 एमएसएमई  के पुनरुद्धार के लिए ऋण का प्रावधान नहीं बल्कि मौद्रिक प्रोत्साहन पैकेज लागू करें, हमारे आर्थिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाएं जिससे रोजगार पैदा हो और घरेलू मांग को बढ़ावा मिले।  सरकारी नौकरियों में रिक्त पदों को अविलम्ब भरें।  
7 मनरेगा को कम से कम दोगुनी मजदूरी के साथ 200 दिनों के लिए बढ़ती गारंटी के साथ व्यापक रूप से बढ़ाएं।  इसी तर्ज पर एक शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम कानून बनाए।  
8 शिक्षण संस्थान जल्द से जल्द खुले इसे सुनिश्चित करने के लिए शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्रों के टीकाकरण को प्राथमिकता दें। 
9 लोगों की निगरानी के लिए पेगासस स्पाइवेयर के उपयोग की उच्चतम न्यायालय की निगरानी वाली न्यायिक जांच तत्काल करें। राफेल सौदे की उच्च स्तरीय जांच - पहले के आदेश को रद्द करे और अधिक कीमत पर नया आदेश दे।  
10 भीमा कोरेगांव मामले में कठोर यूएपीए के तहत और सीएए के विरोध प्रदर्शनों सहित सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा करें।  लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के लिए राजद्रोह/एनएसए जैसे अन्य कठोर कानूनों का उपयोग करना बंद करें।  अपने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का प्रयोग करने के लिए हिरासत में लिए गए सभी मीडिया कर्मियों को रिहा करें।
11 जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा करें। केंद्रीय सेवाओं के जम्मू-कश्मीर कैडर सहित पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करें। जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराएं।