logo

जम्मू-कश्मीर में आतंकी क्यों बना रहे हैं आम नागरिकों को निशाना! पढ़िये घाटी के हालात का पूरा लेखा-जोखा

13963news.jpg

द फॉलोअप टीम, डेस्क:

जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में तनाव और हिंसा की खबरें बीते कुछ समय से सुर्खियों में है। फरवरी 2020 से लेकर जुलाई 2020 तक जो यथास्थिति घाटी में बनी हुई थी वो अब भंग होती दिख रही है। विशेष तौर पर, बीते 1 माह में जम्मू कश्मीर के शोपियां, पुंछ, राजौरी, कुलगाम, अनंतनाग और पुलवामा में आतंकी घटनाओं में तेजी देखी गई है। गौरतलब है कि आतंकियों ने विशेष रूप में जम्मू कश्मीर में गैर मुस्लिमों और प्रवासी श्रमिकों (migrant workers) को निशाना बनाया है। हम इस स्टोरी में सिलसिलेवार ढंग से जम्मू-कश्मीर में बढ़ते तनाव, उसके प्रभाव, संभावित कारणों और शीर्ष व्यक्तियों की प्रतिक्रिया की चर्चा करेंगे। 

2 अक्टूबर से लेकर अब तक 11 लोगों की हत्या
सात अक्टूबर 2020 को श्रीनगर (Srinagar) के ईदगाह संगम इलाके में मौजूद एक सरकारी स्कूल में अज्ञात आतंकियों ने 2 लोगों की हत्या कर दी। निशाना बने स्कूल की प्रिंसिपल और एक शिक्षक। प्रिंसिपल सतिंदर कौर (Satinder Kaur) श्रीनगर की रहने वाली थीं जबकि शिक्षक दीपक (Deepak) जम्मू के रहने वाले थे। घटना के बारे में जो जानकारी सामने आई थी उसके मुताबिक जब आतंकी स्कूल में घुसे तो वहां एक मीटिंग चल रही थी। आतंकियों ने सबसे अपना-अपना आईडेंटी कार्ड दिखाने को कहा। इसके बाद सतिंदर और दीपक को अलग ले जाकर गोली मार दी। 

प्रवासी श्रमिक और गैर-मुस्लिम बने हैं निशाना
बीते रविवार को कुलगाम (Kulgam) में बिहार के 2 प्रवासी श्रमिकों की हत्या कर दी ई। मृतकों का नाम राजा ऋषिदेव और योगेंद्र ऋषिदेव था। इससे ठीक 1 दिन पहले आतंकियों ने श्रीनगर में बिहार (Bihar) के अरविंद कुमार शाह की हत्या कर दी। अरविंद कुमार श्रीनगर के ईदगाह इलाके में गोलगप्पे का ठेला लगाते थे। इसी दिन आतंकियों ने पुलवामा (Pulwama) में सागीर अहमद की हत्या कर दी। अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स् के मुताबिक कश्मीर में अक्टूबर में 11 आम नागरिकों की हत्या की गई जिसमें 7 गैर मुस्लिम हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग पलायन को मजबूर हैं। इस स्थिति ने लोगों को 90 के दशक की याद दिला दी। सवाल ये है कि कश्मीरी (Kashmiri Pandit) पंडितों को ऐसे क्यों निशाना बनाया जा रहा है। 

कश्मीर में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश
इस घटना के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह (DGP Dilbag Singh) का बयान आया। ये बयान कई मायनों में खास था, और इस बात की संभावित तस्दीक भी कर रहा था कि ऐसा क्यों किया गया। दिलबाग सिंह ने कहा कि नागरिकों को निशाना बनाने की हालिया घटनाएं भय और सांपद्रायिक सद्बाव को बिगाडने की कोशिश है। ये स्थानीय लोकाचार और मूल्यों को निशाना बनाने और स्थानीय कश्मीरी मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिश है। ये पाकिस्तानी एजेंसियों (Pakistani agency) के निशाने पर किया जा रहा है।  बयान को ठीक से समझने की कोशिश करें तो इसमें कई बातें हैं। 

पाकिस्तान, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और कश्मीर का सांप्रदायिक माहौल। दिलबाग सिंह का कहना था कि आतंकियों की साजिश ऐसे हमलों के जरिए सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना है ताकि वहां दंगों की स्थिति पैदा हो। कश्मीरी पंडितों और प्रवासी श्रमिकों में भय और शंका का भाव पैदा हो जिसका फायदा अलगाववादी तत्व (Kashmir separatist elements) उठाएं। हालांकि अभी तक ऐसा होता नहीं दिखा है। 

90 जैसे हालात का सामना कर रहे कश्मीरी पंडित
गौरतलब है कि मार्च 2010 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा (Jammu and Kashmir Legislative Assembly) में कश्मीरी पंडितों को लेकर एक सवाल पूछा गया था। तब की सरकार ने बताया था कि घाटी में 1989 से लेकर 2004 के बीच 219 कश्मीरी पंडितों की हत्या की गई। जम्मू कश्मीर के माइग्रेंट रिलीफ पोर्टल (Migrant Relief Portal) के मुताबिक घाटी में आतंकी घटना बढ़ने से 60 हजार से ज्यादा परिवारों ने पलायन किया था। 44 हजार परिवारों ने राज्य के राहत-पुनर्वास आयोग में अपना रजिस्ट्रेशन करवाया। 44 हजार परिवारों में 40 हजार 142 हिंदू परिवार, 2 हजार 684 मुस्लिम परिवार और 1 हजार 730 सिख परिवार शामिल थे। घाटी में फिर से वही स्थिति पैदा होने लगी है। सवाल है कि ये स्थिति क्यों पैदा हो रही है। अचानक से ऐसे मामले क्यों बढ़े। क्यों आम नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। 

अनुच्छेद-320 हटाने के कश्मीर में क्या हैं हालात
इसको ऐसे समझ सकते हैं। 5 अगस्त 2019 को केंद्र की एनडीए सरकार (NDA Government) ने जम्मू-कश्मीर को खास दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 (Article 370) को हटा दिया। इसके बाद वहां हालात कुछ सुधरे। सरकार ने इसे बड़ी कामयाबी के तौर पर पेश किया। पीएम मोदी सहित कई अन्य नेताओं ने भी कहा कि अब हालात बेहतर होंगे। बाहर के लोग भी वहां जमीन ले सकेंगे। रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कश्मीरियों और शेष भारत के लोगों में संपर्क बढ़ेगा। इसी साल जुलाई में मानसून सत्र के दौरान केंद्रीय गृहराज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हाल के सालों में 3 हजार 841 कश्मीरी प्रवासी युवा वापस लौटे हैं। उनको बकायदा नौकरी दी गई है। उन्होंने बताया कि कश्मीरी पंडित औऱ डोगरा हिंदू समुदाय के 900 परिवार में घाटी में हैं। अनुच्छेद-370 हटाये जाने के बाद घाटी में जो शांति थी वो बिगड़ती दिख रही है। 

अगस्त 2021 में कश्मीरी नेताओं से हुई थी मुलाकात
गौरतलब है कि जुलाई 2021 में केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय दलों के नेताओं को दिल्ली तलब किया था। इसे एक सर्वदलीय बैठक की तरह समझा जा सकता है। बैठक में शामिल होने के लिए नेशनल कांफ्रेंस (national conference) के फारुख अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) और उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) सहित पीडीपी (PDP) की महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) आई थीं। बैठक के बाद केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर के नेताओं ने भी कहा था कि बातचीत सकारात्मक रही। केंद्र ने राज्य में विधानसभा के चुनाव करवाने को लेकर भी सकारात्मक रुख दिखाने की बात कही थी। गौरतलब है कि इस बैठक के बाद से ही जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की हलचल तेज हो गई थी। जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन में ड्रोन हमला किया गया। पुंछ में भी ड्रोन से हथियार गिराये गये। 

बीते कुछ महीनों से आतंकी घटनाओं में दिखी थी तेजी
अमृतसर में भी सीमापार से ड्रोन के जरिये हथियारों की आपूर्ति की कोशिश की गयी। अक्टूबर में लगातार आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। इसके पीछे आतंकियों का उद्देश्य सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ना है जैसा कि डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा। वहीं पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ये साबित करने की कोशिश करेगा कि जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है जैसा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (Prime Minister Imran Khan) ने 25 सितंबर 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) के अपने संबोधन में कहा भी था। तब यूएन में भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दूबे (First Secretary Sneha Dubey) ने प्रधानमंत्री इमरान खान की बातों का मुंहतोड़ जवाब दिया था और पाकिस्तान पर भारत को अंदरुनी मामलों में दखल देने का आरोप लगाया था। कहीं ना कहीं पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में अशांति पैदा करके हालात को असमान्य करना चाहता है। 

जम्मू-कश्मीर में सॉफ टार्गेट ढूंढ़ रहे हैं है आतंकवादी
इस पूरे मसले पर कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार (IGP Vijay Kumar) ने कहा था कि आतंकी सॉफ्ट टार्गेट ढूंढ़ रहे हैं। बीते दिनों जिन लोगों को भी निशाना बनाया गया वे सॉफ्ट टार्गेट हैं। हम सबको सुरक्षा दे पाने में हमेशा समर्थ नहीं हो सकते लेकिन आतंकियों का मंसूबा भी कामयाब नहीं होने दिया जायेगा। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Lieutenant Governor Manoj Sinha) ने भी कहा कि आतंकियों की कायराना हरकत बर्दाश्त नहीं की जायेगी और आम नागरिकों की हत्या का बदला लिया जायेगा। 

अक्टूबर के शुरुआती सप्ताह से अब तक 9 जवान शहीद
अक्टूबर के शुरुआती सप्ताह से लेकर अब तक आतंकियों ने कुल 11 आम नागरिकों की हत्या की। इसमें सात गैर-मुस्लिम हैं। आतंकियों से साथ मुठभेड़ में कुल 9 जवान शहीद हो गये। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक कुल 7 आतंकियों को मार गिराया गया है। हालांकि, मारे गये आतंकियों की पूरी संख्या स्पष्ट होना बाकी है। जम्मू-कश्मीर में बिगड़े हालात के बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने 2 दिवसीय दौरा किया। अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये। उम्मीद यही होगी कि घाटी में तेजी से यथास्थिति बहाल हो। फिलहाल भारतीय सेना पुंछ और राजौरी सेक्टर में आतंकियों के खिलाफ अभियान चला रही है। कल शोपियां में भी 2 अज्ञात आतंकियों को मार गिराया गया।