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वतन के लिए हमेशा तैयार रहे हैं झारखंड के वीर, श्रम और शहादत का काफी पुराना है इतिहास

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रांची- वतन पर मर मिटने वालों का जिक्र हो और उसमें झारखंडका नाम ना हो ऐसा कैसे हो सकता है । जी हां लद्दाख बॉर्डर पर देश की खातिर झारखंडके दो जवानों की शहादत का ये पहला वाक्या नहीं है बल्कि इतिहास गवाह है कि जब-जबदेश मुसीबत में पड़ा है और देश को जरुरत पड़ी है तो झारखंड ने उसमें अपना सौ फीसदीयोगदान दिया है, अब देखिए न जिस सड़क के निर्माण को लेकर भारत चीन में टकराव कीस्थिति उत्पन्न हुई और हमारे 20 सैनिकों को कुर्बानी देनी पड़ी, उस सड़क केनिर्माण में झारखंड के हजारों श्रमिक दिन रात अपना खून पसीना बहा रहे हैं । इसतनाव के आलम में भी अपनी जान की परवाह किए बगैर झारखंड के श्रमिक काम में लगे हैं हालांकिभारत-चीन सीमा पर सोमवार रात हुई हिंसक झड़प के बाद झारखंड सरकार ने एहतियातन बड़ाफैसला लेते हुए झारखंड से चीन सीमा पर श्रमिकों को ले जाने वाली स्‍पेशल ट्रेन कोस्‍थगित कर दिया है। ये श्रमिक लेह लद्दाख सहित कई अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में होरहे सड़क निर्माण कार्य में अपना योगदान देने जा रहे थे...  

16 जून से 4 जुलाई के बीच दुमका से खुलनेवाली थी 7 ट्रेनें

झारखंड के दुमका से 16 जून से 4 जुलाई के बीच कुल 7 ट्रेनेंखुलने वाली थी । इन ट्रेनों के जरिए 11 हजार से ज्यादा मजदूर लद्दाख, लेह, जम्मूकश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यों की सीमा पर सड़क निर्माण के लिए जानेवाली थी । अब स्थिति सामान्य होने के बाद फिर से इन श्रमिकों को लेकर ट्रेन रवानाहोगी ।

13 जून को गए थे 1500 श्रमिक

इससे पहले 13 जून को 1500 मजदूरों को लेकर स्‍पेशल ट्रेनइन इलाकों के लिए रवाना हुई थी मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन और श्रम मंत्री सत्यानंदभोक्ता ने हरी झंडी दिखाकर इस ट्रेन को रवाना किया था।

 

भारत-पाकसीमा पर शहीद हुआ गुमला का लाल

12 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीरमें भारत-पाकिस्तान सीमा पर भी झारखंड के गुमला का एक जवान शहीद हो गया. पाकिस्तानने तब सीजफायर का उल्लंघन किया था और भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया थाइस दौरान ग्रेनेड से हमला किया गया जिसमें गुमला का संतोष गोप शहीद हो गया...

 

करगिल में शहीद हुए थे झारखंड के4 जवान

20 साल पहले करगिल में पाकिस्तान से युद्द के दौरान भी झारखंड के 4जवान शहीद हो गए थे, चारों जवानों ने कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था औरबाद में खुद भी शहादत दे दी थी । चार जवानों में एक रांची के धुर्वा के नागेश्वरमहतो और तीन गुमला के थे । गुमला के जिन तीन जवानों ने अपनी शहादत दी थी उनमें जॉनअगस्तुस एक्का, बिरसा उरांव और विश्राम मुंडा थे ।

 

जांबांज महतो ने पाक के 29 सैनिकों को मार गिराया था

झारखंड के जांबांज जवान रामरतन महतो के कारनामे आज भी जेहन मेंताजा है । साल 1999 में करगिल युद्ध के दौरान उन्होंने 29 पाकिस्तानी घुसपैठियोंऔर सैनिकों को मौत की नींद सुलाया था । इस युद्ध में राम रतन महतो खुद भी जख्मी होगए खे लेकिन इलाज के बाद वो ठीक हो गए थे । राम रतन महतो सेना में पहले ड्राइवर कीनौकरी करते थे युद्ध के दौरान उन्हें सैनिकों को वॉर जोन में पहुंचाने कीजिम्मेवारी दी गई थी जो उन्होंने अपने अदम्य साहस के दम पर महज एक रात में करदिखाया था । अभी रिटायर्ड राम रतन महतो गुमला में बतौर प्राइवेट गार्ड काम कर रहे हैं ।