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क्षेत्रीय भाषाओं को स्थानीय और नियोजन नीति में शामिल कराने को लेकर धरना

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

झारखंड के मूलवासी अपनी मांगों को लेकर आये दिन चर्चा में रहते हैं। आज राजधानी रांची में राजभवन के पास 1964 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति को परिभाषित करने के लिए मूलवासी सादानों ने धरना-प्रदर्शन किया। राज्यपाल दफ्तर में सौपें ज्ञापन में मूलवासी सदान मोर्चा ने कई मांगे रखी है। बता दें कि  65 % मूलवासी सदान सयुक्त बिहार में अलग राज्य झारखंड की मांग को लेकर भी मुखर रहे थे।

 

 

इन मांगों को लेकर प्रदर्शन
मूलवासी सदान मोर्चा की महामंत्री अनूपा विश्वकर्मा ने आंदोलन में जोर-शोर से 1964 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति को परिभाषित करने की मांग की है। साथ ही मोर्चा ने कहा है कि सरकार मोर्चा के इस मांग को मानने में अगर असमर्थ है तो सयुक्त बिहार में बने 3 मार्च 1982 के नियोजन के लिए बनी स्थानीय निति को हीं लागू करे। 

9 क्षेत्रीय भाषाओँ को मिले वाजिब सम्मान
मूलवासी सादान मोर्चा के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में राजधानी पहुंचे आंदोलनकारियों ने 1964 के खतियान को लागू करने के साथ-साथ झारखंड सरकार से मांग की है कि मान्यता प्राप्त 9 क्षेत्रीय भाषाओँ ( नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुरमाली, संताली, मुंडारी, खड़िया, हो और कुड़ुख) को स्थानीय नीति एवं नियोजन नीति में शामिल किया जाये। गौरतलब है कि मोर्चा ने विधानसभा की सीटों को 81 से बढ़ाकर 160 किए जाने की मांग की है. मूलवासी सदान मोर्चा ने राज्यपाल को सौपें अपने ज्ञापन में प्रमुखता से मूलवासी सदान आयोग का गठन किये जाने की भी मांग की है।