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चुनाव आयोग ने फ्रीज किया लोजपा का चुनाव चिह्न बंगला, इस्तेमाल पर लगाई रोक

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली: 

दिवंगत नेता रामविलास पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी में फिलहाल चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच उत्तराधिकार की लड़ाई अब एक नई मोड़ ले सकती है। लोक जनशक्ति पार्टी में जारी नेतृत्व की लड़ाई के बीच चुनाव आयोग ने बिहार की 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर पार्टी के तमाम नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनाव चिन्ह प्रयोग करने पर रोक लगा दी है। लोजपा का उत्तराधिकारी भविष्य में कौन होगा इसका अनुमान तो अब चुनाव आयोग के इस आदेश के बाद पार्टी के दोनों गुटों से उठाई जाने वाली कदम से ही लगाया जा सकेगा।

कुछ यूँ बिखर गयी रामविलास पासवान की बनाई एलजेपी पार्टी।
2009 के बिहार विधानसभा चुनाव में कभी 29 सीटों पर जीत हासिल करने वाली लोक जनशक्ति पार्टी का बिहार में आधार लगातार कम हो रहा है। पिछले साल पार्टी के सर्वेसर्वा रामविलास पासवान के देहांत के बाद से लगातार पार्टी में गृहयुद्ध की स्थिति बनी हुई है। असल में इसी साल 14 जून को राम विलास पासवान के छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने अचानक ही ये दावा कर दिया की पार्टी के 6 में से 5 सांसद उन्हें संसदीय दल के नेता के तौर पर देखना चाहते हैं और उसी शाम लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर उन्हें मान्यता भी मिल गई थी। उसके बाद से पार्टी लगातार 2 खेमे में बंटी हुई है। बगावत करने वाले गुट पशुपति कुमार पारस के खेमे को कुल 5 सांसदों का समर्थन हासिल है तो वहीं रामविलास पासवान के बेटे सांसद चिराग पासवान के हिस्से एलजेपी के कार्यकर्ताओं के अलावा और कोई नहीं है। 

नरेंद्र मोदी को 'राम' कहने वाले चिराग को नहीं मिली कोई मदद;
पिता की राजनीतिक पूंजी को बचाने के लिए डैमेज कंट्रोल में लगे चिराग को बीजेपी से मदद की उम्मीद थी पर बीजेपी ने पूरे विवाद से ये कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि ये लोजपा का अपना अंदरूनी मामला है जो भी हो, बीजेपी ने एनडीए गठबंधन के नेता चिराग पासवान की अनदेखी करते हुए पशुपति कुमार पारस को मौन समर्थन दे दिया। ओम बिड़ला ने संसदीय दल के नेता के तौर पर पशुपति कुमार पारस को मान्यता दे दी साथ ही बीजेपी आलाकमान ने अपने कैबिनेट विस्तार में पशुपति कुमार पारस को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय (Food Processing Ministry) का कार्यभार भी सौंप दिया। जाहिर है, भाजपा आलाकमान ने भी पशुपति कुमार पारस को एलजेपी पार्टी में स्थिति को और मजबूत कर दिया है। नरेंद्र मोदी को 'राम' कहने वाले चिराग पासवान ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात कर वापस पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल का नेता चुने जाने पर समीक्षा करने का आग्रह किया था।

 

फिलहाल आशीर्वाद यात्रा पर बिहार की यात्रा पर हैं चिराग
अपनी आशीर्वाद यात्रा से पहले तेजस्वी को अपना छोटा भाई कहने वाले चिराग पासवान ने हाजीपुर से पांच जुलाई को अपने आशीर्वाद यात्रा की शुरुवात की थी। अपने दिवंगत पिता के जन्मदिन पर आशीर्वाद यात्रा के लिए निकले चिराग ने कहा था की मुझे किसी को ताकत दिखाने की जरूरत नहीं है। ये यात्रा मैं अपनी संतुष्टि के लिए निकाल रहा हूं। बहरहाल, जो भी हो बिहार में अपनी स्थिति मजबूत करने हेतू यात्रा पर निकले चिराग के पक्ष में एक तथ्य तो फिलहाल यह है कि उनके प्रतिद्वंद्वी चाचा पशुपति कुमार पारस ग्रास रुट पर उतने प्रभावी नहीं है जितना कभी उनके भाई रामविलास पासवान हुआ करते थे। फिलहाल चिराग पासवान को आशीर्वाद यात्रा में लगातार लोगों का समर्थन मिल रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि एलजेपी के दोनों गुटों के बीच रामविलास पासवान के राजीति और सम्पति का असल दावेदार कौन होगा।