द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड में बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों ने सोमवार को राज्य के अपर मुख्य सचिव सह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह से मुलाकात की और अपनी समस्या रखी। गौरतलब है कि उक्त पाठ्यक्रम इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ नामकुम (रांची) में संचालित किया जा रहा है। ये संस्थान झारखंड सरकार के अधीन है। सवाल है कि आखिर इसमें समस्या क्या है। क्यों विद्यार्थियों ने स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात की।
विद्यार्थियों ने स्वास्थ्य सचिव को सौंपा ज्ञापन
स्वास्थ्य सचिव से मुलाकात के दौरान विद्यार्थियों ने समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा। इसमें लिखा है कि उक्त पाठ्यक्रम सभी बैच द्वारा पूरा कर लिए जाने के पड़ाव पर है लेकिन अभी तक पद सृजन और नियुक्ति नियमावली पर सहमति नहीं बन पाई है। 2016-19 बैच का इंटर्नशिप शुरू हो चुका है लेकिन स्टाइपेंड की अधिसूचना जारी नहीं की गई है। मुश्किल ये भी है कि अभी तक संस्थान को एनबीई की मान्यता नहीं मिल पाई है।
संस्थान भी मान्यता को लेकर गंभीर नहीं है
विद्यार्थियों ने बताया कि उनका संस्थान भी इसके प्रति गंभीर नहीं दिखता। एमबीबीएस ब्रिज कोर्स अथवा उक्त कोर्स की दिशा में उच्च शिक्षा को लेकर अभी तक सरकार या विभाग द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विद्यार्थियों ने राज्य के अपर मुख्य सचिव सह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव अरूण कुमार सिंह से मुलाकात कर अपनी समस्या से उनको अवगत करवाया और इसका त्वरित समाधान निकालने की मांग की।
बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम क्या
आखिर बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम है क्या। इसको समझना जरूरी है। दरअसल, बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम को केंद्र सरकार के कैबिनेट प्रस्ताव में 13 नवंर 2013 को स्वीकृति मिली थी। ये प्रस्ताव दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेश के बाद आया था। इसमें बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर पदस्थापित प्राथमिक चिकित्सा का दायित्व सौंपा गया था, ताकि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधा अच्छी हो।
सरकार ने कोर्स को लेकर क्या-क्या वादा किया
उपरोक्त आदेश में इस पाठ्यक्रम के बाद ब्रिज कोर्स करा कर एमबीबीएस के समकक्ष डिग्री देने का उल्लेख किया गया है। बीएससी सामुदायिक स्वास्थ्य पाठ्यक्रम को शुरू करने का चुनाव केंद्र सरकार ने राज्यों पर छोड़ दिया था। झारखंड सरकार ने इसी आलोक में इसे पूर्णतया लागू किया। बाद में झारखंड के राज्यपाल ने एक आदेश के द्वारा इसे असाधारण गजट के साथ अधिसूचित किया। गजट में उल्लेख है कि इस कोर्स को एमसीआई और एनबीई द्वारा तैयार किया गया है।
कोर्स को लेकर किया गया वादा पूरा नहीं किया
कोर्स के बारे में डाली गई एक आरटीआई के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा था कि कोर्स को नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन द्वारा मान्यता दिलाई जायेगी। गजट में कोर्स के उपरांत सेवा का भी प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। कहा गया था कि सभी बीएससी सामुदायिक डिग्री-धारक को 9300 से 34800 रुपया पे स्केल और 4200 रुपया ग्रेड पे के साथ पदस्थापित किया जायेगा। नियुक्ति नियमावी और पद सृजन पूरी तरह से स्थायी होगा। समस्या ये है कि इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया। अब दाखिला लेने वाले छात्रों का भविष्य अधर में है।