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रांची: सड़कों पर उमड़ रही हैरान करने वाली भीड़, कोरोना की तीसरी लहर को आमंत्रण दे रहे लोग- डॉ. एके सिन्हा

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द फॉलोअप टीम, रांची: 


कोरोना की थमती दूसरी लहर के बीच झारखंड में काफी कुछ हो रहा है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है। बचाव है हर्ड इम्युनिटी। हर्ड इम्युनिटी के लिए व्यापक पैमाने पर वैक्सीनेशन चाहिए। लक्ष्य तय किया गया है कि दिसंबर तक देश के सभी नागरिकों का टीकाकरण करना है। तीसरी लहर की भविष्यवाणी अगस्त महीने में ही है। झारखंड में वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी धीमी है। इस बीच अनलॉक भी किया गया है। सिनेमाघर, रेस्टोरेंट, मॉल, पार्क और जिम भी 50 फीसदी क्षमता की शर्त पर खोल दिया गया है। लोगों की भीड़ उमड़ रही है। 



ऐसा क्या बदला कि लोग लापरवाह हो गये
राजधानी रांची की सड़कों पर लोगों की भीड़ और बेफिक्री देख सहसा लगेगा कि आखिर ऐसा क्या सकारात्मक बदल गया कि लोग घरों से निकल आए। क्या वाकई ऐसी मजबूरी है कि घरों से निकला ही जाये। सड़क पर घूम रहे लोगों के बीच ना तो सोशल डिस्टेंसिंग है और ना ही मास्क ही पहन रहे हैं। कई लोग कह भी रहे हैं कि अभी सड़कों पर जगह नहीं मिल रही है घूमने की और एक दिन अस्पताल में जगह नहीं मिलेगी इलाज के लिए। आखिर इसका इलाज क्या है। कैसे लोगों को समझाया जाये। वैक्सीनेशन की रफ्तार कैसे बढ़ाई जा सकती है। इन तमाम बातों को लेकर द फॉलोअप ने आईएमए के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ. एके सिन्हा से बातचीत की।

 

प्रश्न:- झारखंड में वैक्सीनेशन की रफ्तार धीमी है। दिसंबर तक कैसे टीका लगेगा वो भी तब जब तीसरी लहर की भविष्यवाणी की जा चुकी है।

डॉ. एके सिन्हा:- जितना जल्दी हो सके लोगों का टीकाकरण करना चाहिए। टीके की सप्लाई राज्य में सुचारू रूप से की जानी चाहिए। टीकाकरण के लिए अच्छा समन्वय जरूरी है। टीकाकरण नियमित होना चाहिए। ऐसा नहीं कि एक दिन व्यापक पैमाने पर टीकाकरण किया गया और फिर 2 दिन तक टीकाकरण ठप रहा। इससे दिक्कत होती है। लोगों में भी भ्रम की स्थिति बनी रहती है। बढ़िया योजना, जागरूकता और समन्वय द्वारा टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा करना चाहिए। 


प्रश्न- 17 साल के लड़के को जबरन टीका लगा दिया गया। एक ही समय में दो अलग-अलग वैक्सीन लगा दी गई। क्या इससे टीकाकरण अभियान पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा? 

डॉ. एके सिन्हा- देखिए! जहां इतने व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान चल रहा हो। इतनी बड़ी आबादी को टीका लगाया जाना हो, वहां ऐसी छिटपुट गड़बड़ियां दिखेंगी, हालांकि दिखनी नहीं चाहिए। लोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। लोगों को इस बात की समझ होनी चाहिए कि यदि मैंने एक टीका लगवा लिया है तो दूसरा नहीं लगवाना है क्योंकि बार-बार कहा जा रहा है कि दो अलग-अलग वैक्सीन नहीं लगाना है। बकायदा आपको टीकाकरण की रसीद दी जाती है। स्वास्थ्यकर्मियों को दिखाइये। लोगों को जाकरूक होना होगा। स्वास्थ्यकर्मी भी तनाव में रहते हैं। इतनी बड़ी आबादी का टीकाकरण की जिम्मेदारी है। लोगों को सहयोग करना होगा। स्वास्थ्यकर्मियों के पास ना केवल टीकाकरण की जिम्मेदारी है बल्कि इतनी बड़ी संख्या की मॉनिटरिंग भी करनी है कि टीके से कोई बीमार तो नहीं पड़ा। यदि साइड इफेक्ट दिखा तो उसके इलाज की जिम्मेदारी भी है। लोगों को खुद से जागरूक होना होगा। ध्यान रखना होगा कि जो टीका लिया है दूसरी डोज भी भी उसी की लें। 



प्रश्न- तीसरी लहर का प्रभाव बच्चों पर होने की बात कही जा रही है। प्रदेश में बाल रोग विशेषज्ञों की कमी है, क्या प्रभाव पड़ा।

डॉ. एके सिन्हा- निश्चित तौर पर। मैं ये स्वीकार करता हूं कि ना केवल बाल रोग विशेषज्ञ बल्कि अन्य चिकित्सकों की भी कमी है। इस कमी से निपटना होगा। अच्छी बात है कि सरकार इस दिशा में सकारात्मक पहल कर रही है। सरकार और स्वास्थ्य सचिव इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। काफी सारे फिजिशियन को बाल रोग के इलाज से संबंधित प्रशिक्षण दिए जाने की तैयारी है। बाल रोग में थोड़ा परिवर्तन होता है, उस हिसाब से प्रशिक्षण दिया जा रहा है। मुझे जहां तक जानकारी है, फिजिशियन को तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जैसे ही वे लोग प्रशिक्षित हो जाते हैं, तो फिर कोई परेशानी नहीं होगी। इलाज हो सकेगा। 



प्रश्न- दूसरी लहर काफी गंभीर थी। तीसरी लहर की आशंका के बाद भी लोग लापरवाह दिख रहे हैं। क्या कहेंगे।

डॉ. एके सिन्हा- लोग बहुत लापरवाह हैं। लोग खुद इसके जिम्मेदार होंगे। अनलॉक का गलत फायदा लोग उठा रहे हैं। सड़कों पर बिना मास्क का घूमना। सरकार की गाइडलाइन का पालन नहीं करना। ये सब सीधे-सीधे तीसरी लहर को आमंत्रण देने जैसा है। लोग लहर को मानों बुला रहे हैं कि जल्दी आ जाओ। लॉकडाउन खत्म होने का मतलब ये नहीं था कि कोरोना से निश्चिंत हो जाइये। लोग भीड़ लगाकर घूम रहे हैं। बहुत कम लोग अनिवार्य कारणों से कम और तफरी करने के लिए बाजार में निकल रहे हैं। लोग  मास्क नहीं लगाते हैं और बहाना बनाते हैं। कहते हैं कि मास्क छूट गया। हैरानी की बात है कि आपको बाजार में घूमना याद रहा लेकिन मास्क भूल गये। सरकारें जागरूक कर सकती है। कानून सख्ती बरत सकता है पर कोरोना की तीसरी लहर को रोकना है तो लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। लोग सुन नहीं रहे हैं। लापरवाही बरती जा रही है। इसका खामियाजा भुगतना होगा।