द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड राज्य उर्दू शिक्षक संघ के केंद्रीय महासचिव अमीन अहमद के बकौल सत्र 2014-15 और उसके बाद नियुक्त उर्दू शिक्षकों को योजना मद में गलत तरीके से शामिल कर दिया गया है। तब राज्य में प्राथमिक शिक्षकों की बहाली की गई थी। जिसमें पूर्ववर्ती सरकार की गलत नीतियों के कारण सामान्य शिक्षकों को गैर योजना मद में और केवल उर्दू शिक्षकों को योजना मद में बहाल किया गया था। इससे परेशानी हो रही है।
हेमंत सोरेन और आलमगीर से मिला प्रतिनिधिमंडल
इस संबंध में संघ के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और संसदीय कार्य मंत्री आलगीर आलम से मिलकर इंसाफ की गुहार लगाई। उन्हें ज्ञापन सौंपकर योजना मद में नियुक्त शिक्षकों को गैर योजना मद में शामिल करने की मांग की गई है। कहा गया है कि पहले की सरकार ने उर्दू भाषा के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए ऐसा किया था। नियम के विरुद्ध जाकर केवल उर्दू शिक्षकों को योजना मद में शामिल किया गया था। जबकि उक्त नियुक्ति से पहले और बाद में कभी भी उर्दू शिक्षकों को योजना मद में बहाल नहीं किया गया।
सरकार है मामले में गंभीर
अमीन अहमद के मुताबिक राज्य सरकार गंभीरता पूर्वक पूर्ववर्ती सरकार की इस गलती को सुधारना चाहती है। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को विचारणार्थ संचिका उपलब्ध कराई गई है। वित्त मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के प्रत्याशा में संचिका लंबित है। उन्होंने कहा कि 1994 में बिहार लोक सेवा आयोग से 10% उर्दू शिक्षकों की बहाली की गई थी, जिसमें सभी शिक्षकों को गैर योजना मद में ही शामिल किया गया था. इसबार भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाते हुए उर्दू शिक्षकों को योजना मद में रखा गया है. जबकि योजना मद में मदरसा और संस्कृत के शिक्षक आते हैं।