द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखण्ड की राजधानी रांची में 12 नक्सल प्रभावित जिलों के करीब 25 सौ सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन चल रहा है। यह आंदोलन मानदेय बढ़ोतरी और सेवा स्थायीकरण की मांग को लेकर चल रहा है। सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी उतर गए हैं। उन्होंने ट्वीट करते हुए हेमंत सोरेन सरकार को धोखेबाज बताया है और सहायक पुलिसकर्मियों को समायोजित करने की बात कही है।
ट्वीट में रघुवर दास ने क्या लिखा
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास ने बुधवार को ट्वीट करते हुए लिखा है "धोखेबाज है हेमंत सरकार! झारखंड में नक्सल समस्या समाप्त करने में सहायक पुलिसकर्मियों की भूमिका अहम थी। उनसे किये वादे पूरा नहीं कर हेमंत सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। सहायक पुलिसकर्मियों को झारखंड पुलिस में समायोजित कर उनकी मांग पूरी करे हेमंत सरकार और आंदोलन समाप्त कराये।"
पिछले वर्ष भी आंदोलन कर चुके हैं सहायक पुलिस
साल 2020 के सितम्बर महीने में भी सहायक पुलिसकर्मी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर चुके हैं. उस वक्त मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने उनसे वार्ता कर आंदोलन को ख़त्म करवाया था और 15 दिनों के अंदर सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था. एक साल बीत जाने के बाद जब एक भी वादा पूरा नहीं हुआ तब एक बार फिर आंदोलन की राह पर है सहायक पुलिसकर्मी।
रघुवर दास की सरकार में सहायक पुलिसकर्मियों की हुई थी नियुक्ति
पिछली सरकार यानी रघुवर दास की सरकार में सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति हुई। सरकार की मंशा थी कि नक्सल प्रभावित इलाकों में युवा न भटके इसलिए उन्हें 10 हजार रुपये के मासिक मानदेय पर रखा गया था। अब सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि झारखण्ड पुलिस के एक जवान के इतना ही वह ड्यूटी करते हैं फिर भी उन्हें सिर्फ 10 हजार रुपये ही मानदेय मिलता है जिससे परिवार चलाना काफी मुश्किल है।