द फॉलोअप टीम, इलाहाबाद:
लिव इन रिलेशन में रहने वालों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। शादीशुदा होने के बावजूद भी लिव इन में रहने वाले सरकारी कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्तगी को कोर्ट ने गलत ठहराया है। हाईकोर्ट ने माना है कि सरकारी नौकरी से बर्खास्त करना कठोर दंड है। हाईकोर्ट ने कहा है कि याची को नौकरी में फिर से रखा जाए। इस पर विभाग चाहे तो दूसरा कोई मामूली दंड दे। इस मामले में गोरेलाल वर्मा नामक व्यक्ति ने याचिका दायर की थी जिस पर सुनवाई हुई।
पत्नी के रहते लिव-इन में रहने की सजा
दरअसल गोरेलाल की शादी लक्ष्मी देवी से हुई। लक्ष्मी देवी अभी जीवित हैं फिर भी गोरेलाल, हेमलता वर्मा के साथ लिव इन में रहता है। इन दोनों को तीन बच्चे भी हैं। इस तहरीर के आधार पर 31 अगस्त 2020 को गोरेलाल को सरकारी नौकरी से निकाला गया था। इस पर गोरेलाल ने विभागीय अपील दायर की थी। इस अपील को भी खारिज कर दिया गया क्योंकि विभाग का मानना है कि उसका यह कार्य सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 और हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के विपरीत है।
नौकरी शुरू करने पर ही मिलेगा वेतन
असल में याची के अधिवक्ता की दलील दी थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनीता यादव बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के केस में इस प्रकार के मामले में बर्खास्ती का आदेश रद्द कर दिया था। साथ ही हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने एसएलपी खारिज कर दी थी। मतलब कि याची को भी इसका फायदा उठाने का पूरा हकदार है। इस पर हाईकोर्ट ने याची की दलील को स्वीकार करते हुए याची की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया और उसे दोबारा नौकरी में बहाल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि याची बर्खास्तगी अवधि का वेतन पाने का हकदार नहीं होगा। उसे वेतन तभी से मिलेगा, जब से याची नौकरी शुरु करेगा।