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नीतीश के इमोशनल कार्ड का वोटरों पर कितना पड़ेगा असर

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द फॉलोअप टीम, पूर्णिया:
बिहार विधानसभा चुनाव-प्रचार के अंतिम दिन सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा दांव चलते हुए इसे अपने जीवन का अंतिम चुनाव बता दिया। उन्होंने कहा कि जान लीजिए आज चुनाव का आखिरी दिन है और परसों चुनाव है यह मेरा अंतिम चुनाव है, अंत भला तो सब भला। बिहार की राजनीति के चाणक्य माने जानेवाले नीतीश के इस बयान का कई मतलब निकाले गए। हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक नीतीश के बयान को अंतिम चरण की वोटिंग से जोड़कर देख रहे हैं।

जदयू का है यहां जनाधार
अंतिम चरण में जिन 78 सीटों पर वोटिंग होनी है वहां अभी सबसे ज्यादा जेडीयू का कब्जा है। 2015 में महागठबंधन में रहते हुए जेडीयू ने यहां से 23 सीटें जीती थी, जबकि आरजेडी को 20, कांग्रेस को 11 और बीजेपी को 20 सीटें मिली थीं। ऐसे में नीतीश का 'संन्यास' दांव को वोटिंग से जोड़कर देखा जा रहा है। 78 सीटों पर अति पिछड़ा, मुसलमान और यादवों की संख्या अधिक है। अति पिछड़ा नीतीश के कोर वोटर रहे हैं और नीतीश ने उन्हें अपने बयान से साधने की कोशिश की है।

'संन्यास' दांव के मायने क्या हैं?
नीतीश के बयान के बाद विपक्षी दलों ने उनपर जमकर निशाना साधा। कांग्रेस ने कहा कि उन्हें तो पहले ही रिटायर हो जाना चाहिए। वहीं, उपेंद्र कुशवाहा ने भी नीतीश को राजनीति छोड़ आराम करने की सलाह दे दी। तेजस्वी यादव ने भी सीएम पर हमला करते हुए कहा कि हम लंबे से कह रहे हैं कि नीतीश कुमार थक गए हैं। वे बिहार को मैनेज नहीं कर पा रहे हैं। उनके बयान से यह पता चल रहा है कि वह जमीनी हकीकत को समझ गए हैं।' हालांकि, नीतीश को करीब से जाननेवाले बता रहे हैं कि नीतीश के इस दांव का असर तीसरे और अंतिम चरण की वोटिंग में देखना को मिलेगा।

नीतीश ने मुसलमानों पर फेंका पाशा
तीसरे चरण के चुनाव प्रचार के दौरान मुस्लिम बहुल किशनगंज में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि किसी में इतना दम नहीं है कि वो हमारे लोगों को देश से बाहर कर दें। बीजेपी के साथ रहने के बावजूद मुसलमान नीतीश के चेहरे पर जेडीयू को वोट देते रहे हैं। तीसरे चरण में सीमांचल में वोटिंग है, जो मुस्लिम बहुल है। ऐसे में वोटिंग के दिन अगर मुस्लिम वोटर एनडीए खेमे में आते हैं तो परिणाम पर इसका असर पड़ सकता है।

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नीतीश के दांव से मानेंगे नाराज वोटर?
दरअसल, सरकार विरोधी लहर के कारण इस बार नीतीश कुमार के खिलाफ लोगों की नाराजगी काफी देखने को मिली है। ऐसे में नीतीश ने मतदाताओं पर इमोशनल दांव चला है। देखना दिलचस्प होगा कि वोटरों पर सीएम की अपील का कितना असर होता है। अंतिम दौर की कई सभाओं में नीतीश ने वोटरों को उनके किए गए कामों को भी गिनाया।