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विधानसभा चुनाव से पहले NDA और महागठबंधन में मारामारी, आज LJP ले सकती है बड़ा फैसला, मांझी भी ढूंढ रहे नया ठिकाना, बीजेपी खामोश

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द फॉलोअप टीम, पटना
क्या बिहार विधानसभा चुनाव में बदला-बदला समीकरण देखने को मिलेगा? क्या LJP NDA से नाता तोड़कर अकेले चुनाव लड़ेगी ?क्या LJP और BJP में अंदरखाने कुछ खिचड़ी पक रही है ? क्या JDU को साइडलाइन करने की तैयारी चल रही है ? रामविलास पासवान और चिराग पासवान सीएम नीतीश पर हमलावर क्यों हैं ? मांझी का तेजस्वी के खिलाफ बोलना और नीतीश की तारीफ करने के पीछे का क्या मकसद है? ना जानें ऐसे कितने सवाल इन दिनों बिहार के राजनीतिक गलियारों में पूछे जा रहे हैं। इन सवालों की आड़ में कई कयास भी लगाए जा रहे हैं लेकिन असलियत क्या है? क्या सचमुच कुछ चल रहा है? द फॉलोअप जवाब तलाशने की कोशिश कर रहा है।

अक्टूबर-नवंबर में होगा चुनाव
बिहार में इसी साल के अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होनेवाला है। कोरोना वायरस को लेकर इसे टालने की मांग हो रही थी, लेकिन चुनाव आयोग ने ये साफ कर दिया है कि इन्हीं हालातों में चुनाव कराए जाएंगे और उसकी ओर से सारी तैयारियां करीब-करीब पूरी भी कर ली गई है। ऐसे में अबतक ये उम्मीद पालकर बैठे दल कि चुनाव में देरी हो सकती है, अचानक रेस हो गए हैं। सीटों को लेकर रस्साकशी तो पहले से ही चल रही थी, अब और तेज हो गई है। सभी ज्यादा से ज्यादा सीटें झटकना चाहते हैं और इसके लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। 

NDA में सबकुछ ठीक नहीं
बिहार NDA में शामिल JDU, BJP और LJP भी अपनी-अपनी झोली ज्यादा से ज्यादा सीटों से भरना चाहते हैं ताकि चुनाव बाद अगर कुछ इधर-उधर होता भी है तो फिर उसके पास इतनी संख्या हो ताकि ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े। LJP भी अपनी हैसियत और बढ़ाना चाहती है। फिलहाल विधानसभा में उसके सदस्य 2 हैं लेकिन उसकी मंशा डबल फिगर में जाने की है। इसे लेकर अंदरखाने मोलभाव तो चल ही रहा है, बाहर से रणनीति के तहत प्रेशर बनाने के लिए एक दूसरे को निशाना भी बनाया जा रहा है। खास तौर पर चिराग पासवान ने तो सीएम नीतीश के खिलाफ मोर्चा ही खोल रखा है। कोरोना और बाढ़ के बहाने वो लगातार नीतीश को टारगेट कर रहे हैं। अब उनके साथ-साथ मोदी कैबिनेट में शामिल वरिष्ठ मंत्री और उनके पिता रामविलास पासवान भी नीतीश के खिलाफ मुखर नजर आ रहे हैं। उन्होंने तो ये तक कह दिया है कि वो खुद, लालू और नीतीश पास्ट होते जा रहे हैं। यानी अब चिराग जैसे युवाओं का वक्त आ गया है। एक साथ रहते हुए JDU ने भी चिराग और रामविलास के पासवान पर तीखी प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। ललन सिंह ने चिराग की तुलना कालीदास से कर डाली और केसी त्यागी ने ये तक कह दिया कि बिहार में बीजेपी से जेडीयू का गठबंधन हुआ है न कि LJP से। 

चिराग ने नड्डा से की नीतीश की शिकायत
लगातार हो रही ऐसी बयानबाजी के बीच शुक्रवार को चिराग पासवान ने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। माना जा रहा है कि मुलाकात के दौरान चिराग ने जेपी नड्डा से नीतीश कुमार की शिकायत की है। बिहार की जमुई सीट से सांसद और लोजपा के राष्ट्री अध्यक्ष चिराग पासवान ने जेपी नड्डा को बताया कि किस तरीके से जेडीयू लगातार एलजेपी की उपेक्षा कर रहा है। उन्होंने भाजपा अध्यक्ष से स्पष्ट कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के जल, जीवन, हरियाली और सात निश्चय का एजेंडा उनकी पार्टी का एजेंडा नहीं है। चिराग पासवान ने यह मांग भी की है कि बिहार विधानसभा चुनाव अगर एनडीए के तीनों घटक दलों को साथ लड़ना है, तो उससे पहले कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाना पड़ेगा, जिसमें सभी दलों के एजेंडे को शामिल किया जाना चाहिए। चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी का कार्यक्रम 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' को एनडीए के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में जगह मिले। इसके साथ ही सम्मानजनक सीटें भी दी जाय। इस बातचीत के बाद चिराग दिल्ली से पटना लौटे हैं। पटना दफ्तर में झडोत्तोलन के बाद उन्होंने पार्टी की अहम बैठक बुलायी है। माना जा रहा है कि चिराग पार्टी नेताओं से राय मश्विरा के बाद आज कोई बड़ा फैसले ले सकते हैं। वैसे भी वो लगातार ये कहते नजर आ रहे हैं कि पार्टी सभी 243 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। LJP की इस बैठक पर बिहार के राजनीतिक दलों की नजर टिकी है। 

LJP की जगह भरना चाह रहा HAM
लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान की सीएम नीतीश से तल्खी दिनों दिन बढ़ती जा रही है तो महागठबंधन में शामिल हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी की दूरिया नीतीश से घटती जा रही है। सूत्रों की माने तो मांझी NDA में LJP की जगह लेना चाहते हैं। इस रणनीति के तहत वो इन दिनों नीतीश के प्रति सॉफ्ट रूख अपनाए हुए हैं। हालांकि अबतक खबर है कि मांझी को नीतीश ने वो भाव नहीं दिया है, जो वो चाहते हैं। इसके पीछे की वजह मांझी का ज्यादा महात्वाकांक्षी होना बताया जा रहा है। आपको बता दें कि यही कारण है कि महागठबंधन में भी मांझी को ज्यादा तवज्जो नहीं मिल रहा है। दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाने और कई बार अल्टीमेटम देने के बावजूद तेजस्वी ने उनकी एक नहीं सुनी है। 

RLSP, VIP वेट एण्ड वॉच की स्थिति में
रालोसपा और VIP की हालत भी महागठबंधन में कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। लेकिन ये दोनों दल फिलहाल वेट एण्ड वॉच की स्थिति में हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें लगता है कि मांझी अगर एनडीए में जाएंगे तो हो सकता है कि उन्हें कुछ और सीटें मिल जाय। दूसरी बात ये कि दोनों लोकसभा चुनाव के दौरान ही महागठबंधन में आए थे, ऐसे में फिर से NDA में अपनी शर्तों पर लौटना टेढ़ी खीर है। वैसे भी उपेन्द्र कुशवाहा का सीएम नीतीश से छतीस का आंकड़ा है। 

क्यों खामोश है बीजेपी ?
इन तमाम उथल पुथल के बीच सबसे अहम और गौर करनेवाली बात ये है कि बीजेपी एकदम खामोश है। हर बात पर रिएक्ट करनेवाले बीजेपी के फायरब्राण्ड नेता भी इतना सबकुछ होने के बजाय चुप्पी साधे हुए हैं। यहां तक कि हर बार नीतीश के लिए चुनावी ढाल बनकर सामने आने वाले सुशील मोदी भी चिराग और रामविलास पासवान पर कुछ भी टिप्पणी करने से बचते नजर आ रहे हैं। राजनीति पंडितों की माने तो इसके पीछे बीजेपी की बड़ी रणनीति हो सकती है। हालांकि बताने की जरुरत नहीं कि नीतीश कुमार भी राजनीतिक के माहिर खिलाड़ी है और जबतब उन्होंने अपने सरप्राइजिंग कदमों से जता भी दिया है कि उन्हें हल्के में लेने की भूल करना भारी पड़ सकता है। ये नीतीश कुमार की राजनीतिक कुशलता ही है कि कम जनाधार होने के बावजूद वो लगातार 15 साल से बिहार में राज कर रहे हैं और बीजेपी जैसी मजबूत जनाधार वाला पार्टी उनका पिछलग्गू बनी हुई है।