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असम के मुख्यमंत्री के किस बयान पर भड़का मुस्लिम समुदाय, जानिए! क्या है पूरी बात

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द फॉलोअप टीम, गुवाहाटी: 

असम के नए मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा के ताजा बयान से सियासी बवाच मचने की पूरी आशंका है। अपने कार्यकाल के 30 दिन पूरे होने के मौक पर गुरुवार को असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने राज्य के आप्रवासी मुसलमानों से अपील की है कि वे जनसंख्या नियंत्रण के लिए उचित परिवार नियोजन की नीति अपनाएं। इस बयान के बाद कहा जाने लगा है कि असम के आप्रवासी मुसलमान मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा के निशान पर हैं। वे उन्हें हाशिये पर देखना चाहते हैं। 

बीजेपी के अतिक्रमण हटाओ अभियान का विरोध
दरअसल, मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा का बयान ऐसे वक्त में आया है जब राज्य में बीजेपी की सरकार अतिक्रमण की भूमि को खाली कराने का अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री के इस बयान की राजनीतिक पार्टियों और शख्सियतों द्वार आलोचना की जा रही  है। कुछ लोगों ने पांचवे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देकर मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा पर जनसंख्या नियंत्रण के बहाने आप्रवासी मुसलमानों को निशाना बनाने का आरपो लगाया है। 

बीजेपी पर लगा मुसलमानों से भेदभाव का आरोप
इस बीच असम में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि सरकार मुसलमानों के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं कर रही। सरकार चाहती है कि मुसलमानों का विकास और उनको गरीबी से बाहर लाया जाये। मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा के ताजा बयान की आलोचना इसलिए भी हो रही है क्योंकि 12 दिसंबर 2020 को पांचवा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण का आंकड़ा जारी किया गया था। उसके मुताबिक साल 2005-06 से लेकर 2019-20 में असम में मुस्लिम समुदाय में जन्म दर में काफी तेजी से कमी आई है। यानी कि जनसंख्या में कमी आई है। 

मुख्यमंत्री के किस बयान की हो रही आलोचना
इस बीच असम में बीजेपी सरकार द्वारा जारी अतिक्रमण हटाओ अभियान की भी काफी आलोचना हो रही है। दरअसल गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कोविड महामारी के दौरान बेदखली अभियान को रोकने का निर्देश दिया था। बावजूद इसके राज्य में सरकारी कब्जे वाली जमीन को खाली करवाने का अभियान चलाया गया। अभियान में तकरीबन 200 परिवार बेघर हो गये। बेघर हुए सभी परिवार मुस्लिम समुदाय के हैं। यही वजह है कि मामले में काफी सियासी बवाल मच गया है।