द फॉलोअप टीम, रांची:
रांची के मोरहाबादी मैदान में सहायक पुलिसकर्मी आंदोलन कर रहे हैं। इस वजह से इस साल गांधी जयंती का कार्यक्रम मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका की जगह धुर्वा स्थित छोटानागपुर खादी ग्रामोद्योग संस्थान (सर्वोदय आश्रम) में आयोजित किया गया। गौरतलब है कि सामान्य तौर पर मुख्यमंत्री और राज्यपाल मोरहाबादी स्थित बापू वाटिका में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते थे। हालांकि, यहां बीते 1 सप्ताह से मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे 2200 सहायक पुलिसकर्मी जमे हैं।
मुख्यमंत्री और राज्यपाल का कार्यक्रम प्रस्तावित था
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री के प्रस्तावित कार्यक्रम और हंगामे की आशंका के बीच मोरहाबादी मैदान को पूरी तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। यहां पहुंचने वाले सभी रास्ते पर ड्रॉप गेट बनाकर जवानों को तैनात किा गया था। बापू वाटिका स्थित गांधी जी की प्रतिमा के बगल वाले इलाके को पूरी तरह से चीन को चदरे से ढंक दिया गया था। अलग-अलग स्त्रोतों से मिल रही जानकारी के मुताबिक पुलिस को ये आशंका थी कि यदि सीएम और राज्यपाल बापू वाटिका में माल्यार्पण के लिए आएंगे तो सहायक पुलिसकर्मी उन तक पहुंचने की कोशिश कर सकते हैं। काला झंडा दिखा सकते हैं।
12 जिलों के कुल 2269 पुलिसकर्मियों का आंदोलन जारी
गौरतलब है कि पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, सिमडेगा, खूंटी, गिरिडीह, पश्चिमी सिंहभूम, गुमला, लोहरदगा सहित कुल 12 जिलों के 2269 सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी में धरना दे रहे हैं। उनकी दलील है कि 2017 में जिलेवार लिखित परीक्षा और फिजिकल-मेडिकल टेस्ट पास करने के बाद उनकी बहाली की गई थी। उस समय उनसे कहा गया था कि 3 साल की सेवा के बाद जिला पुलिस में बहाली की जायेगी। अब सरकार बदलते ही उनकी संविदा रद्द कर दी गई। प्रदर्शन किया तो कार्यकाल 1 साल और बढ़ाया गया। सहायक पुलिसकर्मियों का आरोप है कि उनके साथ वादाखिलाफी की गई है।
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मोरहाबादी मैदान में टेंट लगाकर धरना दे रहे हैं सहायक पुलिसकर्मी
गौरतलब है कि अपनी मांगों को लेकर अलग-अलग जिलों से आये सैकड़ों सहायक पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान में डटे हैं। महिला और पुरुष पुलिसकर्मी खुले आसमान के नीचे टेंट लगाकर रह रहे हैं। महिला सहायक पुलिसकर्मी तो अपने बच्चों को भी साथ लाई हैं। इस दौरान रांची में लगातार बारिश हो रही है। इस बारिश की वजह से उनको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सहायक पुलिसकर्मियों की मांग है कि उनको स्थायी किया जाये और वेतनमान में भी वृद्धि हो।