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कॉर्पोरेटों की तिजोरी भर रहे हैं मोदी, भले ही देश के किसान बर्बाद हो जाएं - वृंदा कारात

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द फॉलोअप टीम, रांची :
किसान आंदोलन के बीच रांची में वृंदा करात ने प्रधानमंत्री मोदी को किसान विरोधी और कॉर्पोरेट घरानो का मित्र बताया है। रांची स्थित सीपीआई(एम) (CPI(M)) के कार्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मोदी कॉर्पोरेट घरानों को मदद पहुंचाने के लिए कृषि कानून लेकर आए हैं। इससे भले ही देश के किसान बर्बाद हो जाएं, मोदी जी को इससे फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि आम लोग अब समझ चुके हैं कि सरकार की प्राथमिकता कॉर्पोरेट का फायदा है।
 
डोनाल्ड ट्रंप की हार से भी नहीं लिया सबक
वृंदा करात ने कहा कि मोदी सरकार भारत में लोकतंत्र को खत्म करने, आत्म निर्भरता के नाम पर देश की अर्थव्यवस्था का भट्टा बैठाने, किसानों और मजदूरों का अपमान करने और हर ज्वलंत मुद्दों पर झूठ का पुलिंदा खोलने मे अपने को कथित विश्व गुरु के रुप मे प्रोजेक्ट कर रही है। इनके महा गुरु और पहले के कथित विश्व गुरु डोनाल्ड ट्रम्प की हार से भी इन्होंने कोई सबक नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अवसर बताकर संसद में बिना समुचित बहस कराए और बिना वोटिंग के देश के मेहनतकशों के अधिकारों पर बंदिश लगाने और उन्हें कार्पोरेट घरानों का गुलाम बनाने का कानून पारित करा लिया।
 
लोगों की बीच बढ़ते असंतोष ही बनेगा मोदी के पतन का कारण
सीपीआई (एम) नेता ने कहा कि छद्म राष्ट्रवाद और देशभक्ति का स्वांग रचने वाली मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था की रीढ और संप्रभुता के प्रतीक सार्वजनिक क्षेत्र के उधमो का बड़े पैमाने पर नीजीकरण कर अपने देशी - विदेशी आकाओं के सामने आत्म समर्पण कर दिया है। देश की आजादी के बाद हो रहे इतने व्यापक किसान आंदोलन को मोदी सरकार आतंकवादी, विदेशी और राष्ट्र विरोधी कहकर बदनाम करने मे अपनी पूरी ऊर्जा नष्ट कर रही है। जबकि हमारे देश के अन्नदाता आज 84 दिनों से दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं और किसानों के आंदोलन का दायरा पूरे देश में तेजी से बढता जा रहा है। यह इस बात का सबूत है कि मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों के किसानों-मजदूरों का असंतोष बढता जा रहा है। यही असंतोष मोदी सरकार के पतन का कारण बनेगा।