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झारखंड में सबसे बड़े साइबर ठगी का खुलासा कोलकाता से युवक गिरफ्तार

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द फॉलोअप टीम, जमशेदपुर 
जमशेदपुर समेत झारखंड में सैकड़ों लोगों से पिछले दो साल में पांच करोड़ की साइबर ठगी करने वाला मास्टर माइंड राहुल कुमार केसरी फिलहाल गिरफ्तार हो चुका है। झारखंड पुलिस ने तकनीकी सेल की मदद से कोलकाता से केसरी को गिरफ्तार किया।  केसरी वहां न्यू टाउन थाना के थाकदारी संजीवा गार्डन इलाके में पिछले 9 माह से 27500 रुपए मासिक किराया पर फ्लैट लेकर अपने दादा-दादी के साथ रह रहा था। राहुल मूल रूप से बिहार के भोजपुर का रहने वाला है। 

यूट्यूब देखकर बना साइबर क्रिमिनल
उसने मानगो टीचर्स कॉलोनी में रहकर मैट्रिक व बीबीए की पढ़ाई की। वर्ष 2007 में मानगो पोस्ट ऑफिस रोड स्थित ईएसबी हाईस्कूल से मैट्रिक तथा 2013 में सिक्किम मणिपाल ओपेन विवि से बीबीए की पढ़ाई की। पिछले जनवरी में गिरफ्मतारी और उसके बाद रिहाई के बाद वह शहर से भागकर कोलकाता चला गया। 28 वर्षीय राहुल ने यू-ट्यूब पर देखकर साइबर क्राइम का एक्सपर्ट बना और वर्ष 2018 में साइबर अपराध से जुड़ गया।

बैंकॉक में भी ले रखा है किराए का फ्लैट
बैंककॉक में 60 हजार रुपए मासिक (800 पाउंड) किराए पर फ्लैट ले रखा है। जहां गर्लफ्रेंड को लेकर 20 अप्रैल 2019 और 24 जून को 10-12 दिन अपनी गर्लफ्रैंड के साथ रहा था। 15 नंबवर को यूके में आरके ग्रुप कंपनी का संचालन शुरू करने वाला था। जिसका टर्नओवर 3000 करोड़ रुपए रखा था। यह कंपनी ऑनलाइन मार्केटिंग से जुड़ी है। पुलिस के आला अधिकारी का दावा है कि यह झारखंड में साइबर क्राइम की अबतक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी  है। शहर केे साइबर थाने में राहुल के खिलाफ चार मामले दर्ज हैं। उसके पास से एक लैपटॉप, एक टैब, दो मोबाइल, एक पेन ड्राइव, चार एटीएम कार्ड, एक पैन कार्ड और एक पासपोर्ट जब्त किया गया है। पासपोर्ट पर थाइलैंड का वीजा लगा है। उसके पास यूके का एक्टिव ई-सिम कार्ड भी मिला है। राहुल के आठ बैंक खाताें काे पुलिस ने सील किया है। वह मार्च 2018 में साइबर अपराधी महेश पोद्दार, योगेश शर्मा के साथ बैंकॉक घूमने गया था।

जानिए कैसे करता था अपराध, ले रखी थी अपराध की ट्रेनिंग
स्कूल में पढ़ाई के दौरान वर्ष 2017 में उसकी दोस्ती महेश कुमार पोद्दार, धीरज शर्मा, राकेश कुमार महतो, योगेश शर्मा, राहुल कुमार मिश्रा, मनतोष पोद्दार, कौशिक सरकार से हुई। तभी बिहारशरीफ, नालंदा से जमशेदपुर आए रितेश कुमार ने बताया कि साइबर अपराध में ठगी करना आसान है। चूंकि राहुल वेबसाइट बनाकर लोगों को बेचता था। राहुल ने उक्त साथियों के साथ ग्रीनफिल्ड अपार्टमेंट में साइबर अपराध का कार्यालय खोला। इसके बाद गूगल में ब्रांडेड कंपनी का नकली विज्ञापन देकर लोगों को सामान बेचने के नाम पर ठगने लगा। महेश पोद्दार ने 50 हजार रुपए मासिक फीस देकर राहुल से ठगी की ट्रेनिंग ली थी।