द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड लोक सेवा आयोग ने 3 साल पहले सहायक लोक अभियोजक के 143 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन जारी किया था। इन पदों पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। इंटरव्यू प्रक्रिया पूरी होने के 2 महीने बाद अब जानकारी मिल रही है कि राज्य सरकार ने नियुक्ति का प्रस्ताव जेपीएससी से वापस मांग लिया है। ये हैरान करने वाला है।
जेपीएससी को गृह विभाग का निर्देश
मिली जानकारी के मुताबिक मुख्यमंत्री के आदेश के बाद गृह विभाग ने जेपीएससी को पत्र लिखकर प्रस्ताव लौटाने का निर्देश दिया है। गृह विभाग का इस पर कहना है कि चूंकि नियुक्ति प्रक्रिया में काफी वक्त लग गया है। गृह विभाग का कहना है कि एपीपी की रिक्तियों की नए सिरे से समीक्षा की जायेगी। इसके बाद फिर जेपीएससी को प्रस्ताव भेजा येगा।
10वीं-12वीं झारखंड से करने की बाध्यता नहीं
गौरतलब है कि एपीपी की नियुक्ति में झारखंड से 10वीं और 12वीं परीक्षा पास करने की बाध्यता नहीं है। कहा जा रहा है कि इसलिए नियमावली में संसोधन की भी जरूरत नहीं है। गौरतलब है कि 143 सहायक लोक अभियोजक (एपीपी) की नियुक्ति संबंधी सभी तरह की परीक्षा (पीटी, मेन और इंटरव्यू) हो चुकी है। केवल फाइनल परिणाम ही जारी करना शेष रह गया था।
2017 को जेपीएससी ने निकाली थी वेकैंसी
पूरा मामला विस्तार से समझाते है। गृह विभाग ने 24 अगस्त 2017 को एपीपी के 143 पदों पर नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी थी। इसके आलोक में जेपीएससी ने विज्ञापन संख्या 3/2018 प्रकाशित किया था। 23 फरवरी 2018 से 8 अप्रैल 2018 तक अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किया गया था। 28 जुलाई 2019 को जेपीएससी द्वारा पीटी परीक्षा का आयोजन किया गया। पीटी परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का 5 जनवरी 2020 से 9 जनवरी 2020 तक मुख्य परीक्षा ली गई। 4 अक्टूबर से 6 अक्टूबर साक्षात्कार का आयोजन किया गया। अब अंतिम रूप से परिणाम जारी किया जाना था।
अंतिम रूप से परिणाम जारी नहीं किया गया
अंतिम रूप से परिणाम जारी किया जाना था लेकिन सरकार ने अधियाचना ही वापस मांग ली है। मिली जानकारी के मुताबिक सरकार एपीपी की नियुक्ति में पुरानी प्रक्रिया में लौटना चाहती है। पूर्व में एडवोकेट बार से वकीलों को ही एपीपी नॉमिनेट किया जाता था। गृह विभाग ने इसे बंद करके सीधी नियुक्ति का फैसला किया था। फिलहाल सरकार के फैसले से अभ्यर्थियों का भविष्य अधर में है।