द फॉलोअप टीम, हजारीबाग:
सूबे की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने कहा है कि सत्कर्म और मानव कल्याण सभी धर्मों का सार है। जैन धर्म विश्व के सबसे प्राचीन दर्शन या धर्मों में से एक है। जैन धर्म भी सत्य, अहिंसा, अचौर्य की शिक्षा देते हैं। हजारीबाग के लिए बहुत ही गर्व का विषय है कि संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के सुयोग्य शिष्य बहुमुखी प्रतिभा के धनी युगसाधक मुनिश्री 108 प्रमाणसागर महाराज यहां के ही लाल हैं। इनका गहन गम्भीर ज्ञान लोगों को आकर्षित कर लेता है। धर्म और दर्शन जैसे गूढ़ विषयों की सरल और सरस प्रस्तुति लोगों के हृदय को स्पर्श करती है। राज्यपाल मुनिश्री 108 प्रमाणसागर महाराज के आगमन पर जैन समाज के कार्यक्रम में बोल रही थीं।
तन को स्वस्थ, मन को मस्त, आत्मा को पवित्र बनाने वाला ‘भावना योग’
हजारीबाग में जैन समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने कहा कि पूज्य मुनि श्री ने ‘धर्म बचाओ आन्दोलन’ के रूप में जैन धर्म के संरक्षण और संवर्धन का जो स्तुत्य और प्रशंसनीय कार्य किया है, वह चिरस्मरणीय है। आप प्राणीमात्र की सर्वविध कुशलता और सुख-सम्पन्नता के विचार को जीते हैं। आपके इसी विचार की परिणति ‘जैन जनगणना’ और ‘भावना योग’ के रूप में परिलक्षित होती है। तन को स्वस्थ, मन को मस्त और आत्मा को पवित्र बनाने वाले आधुनिक प्रयोग का नाम है- ‘भावना योग’। इसके माध्यम से हम अपनी आत्मा में छिपी अनन्त शक्तियों को प्रकट कर सकते हैं। यह वही प्राचीन वैज्ञानिक साधना पद्धति है, जिसे करोड़ों वर्षों से अपनाकर जैन मुनि अपना कल्याण करते रहे हैं।
मुनिश्री ने ‘शंका समाधान‘ को एक नई पहचान दी
राज्यपाल ने कहा, मुनि श्री प्रमाणसागर आज कुशल लेखक, ओजस्वी वक्ता, प्रखर चिन्तक और प्रामाणिक सन्त के रूप में जाने जाते हैं। मुनिश्री द्वारा प्रवर्तित कार्यक्रम ‘शंका समाधान‘ ने उन्हें एक नई पहचान दी है। वे जीवन की जटिलतम गुत्थियों को पल में ही खोल देते हैं। वे एक ऐसे जैन संत हैं, जिन्हें प्रति दिन विभिन्न संचार माध्यमों से विश्व के सौ से अधिक देशों में सर्वाधिक सुना जाता है। मैं मुनि श्री प्रमाणसागर से आग्रह एवं अपेक्षा करती कि वे समाज को जागरूक करने हेतु प्रेरित करेंगे। लोग सुशिक्षित होंगे, संस्कारवान होंगे। आप जैन धर्म के सम्पन्न लोगों से समाजहित एवं लोकहित निःसहायों के कार्य हेतु भी प्रेरित करें।
झारखंड का पारसनाथ जैन धर्म के बहुत से तीर्थंकरों की मोक्ष की भूमि
राज्यपाल ने कहा, झारखण्ड राज्य की पावन भूमि सभी दृष्टिकोण से समृद्ध है। चाहे वह प्राकृतिक एवं खनिज संपदा की दृष्टिकोण से हो या पर्यटन एवं धार्मिक दृष्टिकोण से। मानव संपदा की बात करें, तो यहाँ के लोग सर्वोत्तम हैं। झारखण्ड राज्य में गिरिडीह जिला अंतर्गत पारसनाथ है। यह जैन धर्म के लोगों के साथ अन्य धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक एवं पर्यटन की दृष्टिकोण से समृद्ध है। पारसनाथ जैन धर्म के बहुत से तीर्थंकरों की मोक्ष की भूमि कही जाती है। देश-विदेश से लोग यहाँ आस्था से आते हैं। मुझे भी यहाँ जाने का अवसर प्राप्त हुआ था।
धार्मिक आस्था का विश्वप्रसिद्ध केंद्र है राज्य का इटखोरी
राज्यपाल ने कहा, राज्य में ही इटखोरी जैसे विश्वप्रसिद्ध धार्मिक आस्था के केंद्र है। यह धार्मिक आस्था के संगम के केंद्र एवं स्थल भी कहे जाते हैं। यहाँ माँ भद्रकाली के प्रसिद्ध मंदिर हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालू पूजा-अराधना हेतु आते हैं। यह स्थल बौद्ध धर्म के लोगों के लिए महत्वपूर्ण आस्था के केंद्र हैं। साथ ही इटखोरी स्थल जैन धर्म के लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण आस्था का स्थल है। कारण यह है कि यह जैन धर्म के 10वें तीर्थंकर श्री 1008 शीतलनाथ स्वामी की जन्मभूमि रही है।
भारत को विश्वगुरु का स्थान दिलाने में ऋषि-मुनियों का अहम योगदान
राज्यपाल बोलीं, हमारे देश को विश्वगुरु कहा जाता था। भारतवर्ष को विश्वगुरु का स्थान दिलाने में हमारे ऋषि-मुनियों का अहम योगदान रहा है। आप सबने समाज को मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य किया है। वे समाज के पथ-प्रदर्शक होते हैं। समाज में व्याप्त कुरीतियों के निवारण की एक बड़ी जिम्मेदारी उन पर होती है। हमारे देश में स्वामी विवेकानन्द जैसे संत हुए जो पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय हुए और अल्पायु में ही विशिष्ट पहचान कायम की।
भारत के वैज्ञानिकों ने बनाई विश्व की सबसे सफल मानी जाती वैक्सीन
राज्यपाल ने कहा कि आज सम्पूर्ण विश्व कोरोना वायरस से ग्रसित है। हमारा देश भी इससे प्रभावित है। लेकिन हमारे देश ने एक जन-सहयोग अनुकरणीय प्रणाली के साथ इसका सामना किया है। कोरोना से निवारण हेतु हमने कई देशों को दवाएं भेजी। आज भारत की वैक्सीन विश्व की सबसे सफल वैक्सीन मानी जाती है। इसके लिए हमारे वैज्ञानिक बहुत ही बधाई के पात्र हैं। हमारे यहाँ युद्धस्तर पर टीके लगाने के कार्य हो रहे हैं. हम विश्व के अन्य देशों को भी वैक्सीन दे रहे हैं। मानव-कल्याण की इस दूरदर्शी सोच रखने वाले हमारे माननीय प्रधानमन्त्री की लगभग पूरा विश्व सराहना कर रहा है।