द फॉलोअप टीम, लखनऊ:
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले में एक महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न और ज़बरन यौन संबंध बनाने के आरोप लगाए थे। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई की। आरोपी को जेल भेज दिया गया। आरोपी ने अब इलाहाबाद हाई कोर्ट में ज़मानत की अर्जी लगाई। वहां आरोपी की अर्जी स्वीकार हो गयी और उसे ज़मानत दे दिया गया।
कोर्ट ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुना, फिर ये फैसला सुनाया। यहां जिक्र हुआ IPC का सेक्शन 375 और अपवाद 2 का जो रेप के मामलों से डील करता है, जिसमें कहा गया है कि पति का अपनी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना, तब रेप माना जायेगा जब पत्नी की उम्र 15 से कम हो, यानी 15 साल से ज्यादा उम्र की लड़की के साथ अगर उसका पति शारीरिक संबंध बनाए, तो वो रेप नहीं होगा। हाई कोर्ट ने इस अपवाद को मानते हुए आरोपी की ज़मानत दे दी।
बाल विवाह कानून
हमारे देश में बाल विवाह अपराध है। इसे रोकने के लिए बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लागू है , जिसके तहत लड़कों की 21 साल और लड़कियों की 18 साल से पहले की शादी को बाल विवाह माना जाएगा। इस पर 2 साल की जेल या 1 लाख का जुर्माने का भी प्रावधान है। इस कानून के बाद भी देश में धड़ल्ले से बाल विवाह हो रहे हैं। हर बाल विवाह को तुरंत ही अमान्य करार नहीं कर दिया जाता है बल्कि उसके पीछे कई प्रोसेस हैं। इसी के तहत ये फैसला सुना दिया गया।
इस एक्ट में क्या दिक्कत?
बाल विवाह एक्ट में हर उस लड़के को बच्चा कहा गया है, जिसकी उम्र 21 से कम है और हर उस लड़की को बच्ची कहा गया है, जिसकी उम्र 18 से कम है। ये एक्ट तुरंत ही बाल विवाह को अमान्य नहीं करता, लेकिन इससे सजा मिलती है। विमेन एंड चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट डॉक्टर अलोक शर्मा कहती हैं। “हमारे देश में बाल विवाह की रोकथाम के लिए कानून तो हैं, लेकिन उनके अंदर इन बाल विवाहों को अवैध करार देने का प्रावधान नहीं है. आसान भाषा में कहें तो, अगर हमारे देश में बाल विवाह हो रहे हैं तो ये पूरी तरह से अमान्य नहीं हैं, यानी ये लीगल हैं।
किसी भी स्थिति में संबंध बनाना रेप ही होगा
शायद इसलिए ही IPC के सेक्शन 375 के अपवाद में बाल विवाह का शिकार हुई 15 से 18 के बीच की लड़कियों को रेप से वो सुरक्षा नहीं मिलती जो बाकी लड़कियों को मिलती है जबकि IPC का यही सेक्शन रेप को परिभाषित करते हुए ये भी कहता है कि किसी भी ऐसी लड़की के साथ शारीरिक संबंध बनाना जो 18 साल से छोटी हो, वो रेप कहलाएगा, फिर भले ही इस संबंध के लिए उस लड़की का कंसेट रहे या न रहे।
पहले भी हो चुकी है इस बात पर लंबी बहस
ऐसा नहीं है कि ये मामला पहले नहीं आया है। कई दफा इस मुद्दे पर बहस हो चुकी है। कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट में भी ये मामला पहुंचा था। तब अक्टूबर 2017 के एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था “एक बच्ची तब भी बच्ची रहती है जब उसे स्ट्रीट चाइल्ड समझा जाता है या फिर सरेंडर चाइल्ड समझा जाता है या फिर उसे गोद लिया जाता है। बिल्कुल उसी तरह, एक बच्ची हर कंडिशन में बच्ची रहती है, फिर चाहे उसकी शादी हुई हो या नहीं, या फिर तलाकशुदा बच्ची है या सेपरेट हो चुकी है या विधवा हो चुकी है।
सुप्रीम कोर्ट का मामले में क्या कहना है
सुप्रीम कोर्ट ने ये माना था कि कोई आदमी अगर अपनी 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ सेक्शुअल रिलेशन बनाता है, तो वो रेप ही कहलाएगा। कोर्ट ने तब कहा था कि “भारत में लगभग हर जगह ये माना जाता है कि 18 से कम उम्र की लड़की चाइल्ड ही है। बदकिस्मती से IPC के सेक्शन 375 के अपवाद को के चलते 15 से 18 उम्र के बीच की शादीशुदा लड़कियों के साथ उनके पति बिना कंसेंट के सेक्शुअल रिलेशन बना लेते हैं और उन पर कोई आरोप भी नहीं लगता। ”