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कद नहीं यहां काम बोलता है, पढ़िए! 3 फूट 3 इंच लंबी इस महिला आईएएस अधिकारी की कहानी

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द फॉलोअप टीम, जयपुर:

अगर मन में कुछ कर गुजरने की लगन हो तो कोई भी कठिनाई सामने आये जी तोड़ मेहनत के आगे वह अपना दम तोड़ ही देती है। आज हम एक ऐसी महिला आईएएस ऑफिसर की बात करेंगे जिनका कद नहीं बल्कि उनका काम बोलता है। हम ऑफिसर आरती डोंगरा की बात कर रहे है जिनकी कहानी निश्चित तौर पर प्रेरणा देने वाली है। उनका कद महज 3 फुट 3 इंच है। लोग बचपन से ही उनके कद का मजाक उड़ाया करते थे।  लेकिन उन्होंने लोगों को जवाब देना जरूरी नहीं समझा बल्कि अधिकारी बनकर सबकी बोलती ही बंद कर दी। आइये जानते है IAS आरती डोंगरा की कहानी। 

 

उत्तराखंड के देहरादून में हुआ था जन्म
8 जुलाई 1979 को उत्तराखंड के देहरादून में आरती डोंगरा का जन्म हुआ। वो अपने माता- पिता की पहली संतान थी। उनकी शारीरिक बनावट अन्य बच्चों से अलग थी। धीरे-धीरे उम्र बढ़ती गई, मगर उनकी कद तीन ​फीट तीन  इंच के बाद नहीं बढ़ा। डॉक्टर्स ने भी माता-पिता से कहा था कि यह बच्ची सामान्य जिंदगी नहीं जी पाएगी। लोगों ने काफी मजाक उड़ाया। 

किसी ने उन्हें परिवार के लिए बोझ बताया। यहां तक की आरती डोगरा के माता-पिता की दूसरी संतान पैदा करने की नसीहत दे डाली थी, मगर उन्होंने इसी इकलौती बेटी को कामयाब बनाने की ठानी और नतीजा यह है कि आज आरती डोगरा आईएएस अधिकारी हैं। आरती डोगरा ने अपनी कमजोरी को ही अपनी ताकत बना ली। उन्होंने वेल्हम गर्ल्स स्कूल में दाखिला लिया। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के टॉप कॉलेज लेडी श्रीराम कॉलेज से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन की। पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए देहरादून चली गईं। वहां इनकी मुलाकात उत्तराखंड की पहली महिला आईएएस मनीषा पंवार से हुई। उनसे आरती को यूपीएससी की तैयारी की प्रेरणा मिली।

आईएएस मनीषा पंवार से मिली दिशा 
आईएएस मनीषा पंवार से मुलाकात के बाद आरती डोगरा की जिंदगी को एक नई दिशा मिली। आरती यूपीएससी की तैयारियों में जुट गईं और 2005 में पहली बार परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में उन्हें 56वीं रैंक हासिल आईएएस बनीं और राजस्थान कैडर चुना। वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री की विशेष सचिव के तौर पर कार्यरत हैं। वर्ष 2006-2007 में आईएएस की ट्रेनिंग के बाद वह उदयपुर के एडीएम के तौर पर पोस्टिंग दी गई। इसके बाद ये अलवर व अजमेर के ब्यावर में एसडीएम भी रहीं।

 

बतौर जिला कलेक्टर इन्हें वर्ष 2010 में बूंदी लगाया गया। फिर बीकानेर और अजमेर की जिला कलेक्टर के रूप में भी सेवाएं दी। जोधपुर डिस्कॉम की प्रबंध निदेशक भी रहीं। 1 जनवरी 2019 को मुख्यमंत्री की विशेष सचिव नियुक्त होने से पहले 19 दिसम्बर 2018 से 31 दिसम्बर 2018 तक मुख्यमंत्री की संयुक्त सचिव पद पर रहीं। 

कद नहीं बल्कि काम से बनाई पहचान
आरती डोगरा देश की वो अफसर हैं जिनका कद नहीं बल्कि काम बोलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इनके काम के तरीके के मुरीद हैं। बीकानेर में जिला कलेक्टर रहते आरती डोगरा ने 'बंको बिकाणो' अभियान की शुरुआत की। गांव-गांव पक्के शौचालय बनवाए गए, जिसकी मॉनीटरिंग मोबाइल सॉफ्टवेयर के जरिए की जाती थी। यह अभियान 195 ग्राम पंचायतों तक सफलता पूर्वक चलाया गया। बंको बिकाणो की सफलता के बाद आस-पास से जिलों ने भी इस पैटर्न को अपनाया।