द फॉलोअप टीम, पटना:
मैट्रिक और इंटरमीडिएट के फर्जी प्रमाण पत्र पर एक शिक्षक पिछले 8 सालों से नौकरी कर रहा था। जब शैक्षणिक प्रमाणपत्र की जांच की गई तो नियोजन फर्जी होने का मामला सामने आया। यह मामला दौलतपुर धनरुआ और प्राथमिक विद्यालय सिकरिया मसौढ़ी का है। सुभाष नाम के शिक्षक दो शिक्षक दो स्कूलों में अलग अलग जगह पढ़ा रहे थे। दोनों पंचायत शिक्षक के तौर पर नियुक्त थे।
इस नंबर से हुआ भंडाफोड़
शिक्षकों की ईपीएफ योजना के तहत यूएनए नंबर मिलाने की बात आई तो दोनों ही शिक्षक का यूएनए नंबर एक ही था। दोनों का नाम, पिता का नाम, जन्मतिथि, टीईटी प्रमाण पत्र सब एक जैसा था। शक के आधार पर जांच शुरू किया गया। दोनों से मैट्रिक और इंटर के प्रमाण पत्र, अंक पत्र और प्रवेश पत्र मांगे गए।
तमाम कागजात फर्जी निकले
मसौढ़ी के शिक्षक सुभाष कुमार के सारे प्रमाण पत्र फर्जी थें। जो प्रमाणपत्र उसने जमा किये थे उसमे मैट्रिक परीक्षा का प्रवेश पत्र पर बोर्ड द्वारा अंकित क्रम संख्या नहीं था। ना ही प्रवेश पत्र पर प्राचार्य का हस्ताक्षर। वहीं दूसरे शिक्षक सुभाष कुमार से उनका प्रमाण पत्र मांगा गया तो उनके सारे कागज सही थे।
शिक्षक पर भी होगी कार्रवाई
इस धोखधड़ी के बाद पटना जिला शिक्षा पदाधिकारी नीरज कुमार ने पंचायत सचिव, मसौढ़ी को शिक्षक को कारण बताओ नोटिस देने को कहा है। साथ ही शिक्षक पर प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश है। इस फर्जी शिक्षक ने इतने सालों में 1182261 रुपया कमाया है अब उनसे इस राशि की वसूली की जायेगी। इसके साथ ही नियोजन संबंधित सारे दस्तावेजों को जब्त किया जायेगा।