द फ़ॉलोअप टीम, रांची :
झारखण्ड (Jharkhand) में हेमंत सोरेन(Hemant Soren) की सरकार है। कांग्रेस(Congress) और राजद (RJD) के समर्थन से झामुमो(JMM) के नेतृत्व वाली सरकार दो महीने बाद अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूरे करेगी। सरकार बनने के बाद से ही बोर्ड, निगम, आयोग और समिति में अध्यक्ष पद के लिए सरकार समर्थित पार्टियों के नेताओं की लॉबिंग चल रही है। लेकिन सरकार की ओर से कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गयी। जिसके कारण काम प्रभावित हो रहे हैं। रघुवर दास (Raghuvar Das) के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में 60 फीसदी बोर्ड-निगम और आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति हुई थी।
सरकार को अपनों की नाराजगी का है डर सरकार में शामिल कांग्रेस और जेएमएम के विधायक इस इंतजार में हैं कि उन्हें मंत्री पद नहीं मिला तो कम से कम बोर्ड-निगम ही तो सरकार दे दे।लेकिन सरकार इसलिए भी अभी इस पचड़े में नहीं पड़ना चाह रही कि कांग्रेस और जेएमएम के पास पद की रेस में सैकड़ों नेता हैं। अगर एक को पद मिला तो दूसरा नाराज होगा। बगावत और हंगामे के काफी आसार हैं। कांग्रेस के कई नेता बोर्ड-निगम के पद के लिए लॉबिंग कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में कोई खुलकर नहीं रहा। कांग्रेस, झामुमो और राजद की तरफ से दर्जनों बार यह बोला गया है कि जल्द ही इन पदों पर नियुक्ति होगी। लेकिन अपनों की नाराजगी का ही डर है कि दो वर्ष में इन पदों पर अबतक नियुक्ति नहीं हो पायी है।
लगभग तीन दर्जन बोर्ड, निगम, आयोग और समितियों में अध्यक्ष का पद सालों से खाली
झारखंड के इन बोर्ड, निगम, आयोग और समिति में अध्यक्ष का पद सालों से खाली है। इनमे से 20 सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वय समिति, निगरानी पर्षद, खनिज विकास निगम, प्रदूषण नियंत्रण पर्षद, वन विकास निगम लिमिटेड, पर्यटन विकास निगम, राज्य विकास परिषद, आरआरडीए, खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार, धनबाद, राज्य आवास बोर्ड, कृषि विपणन परिषद, बाल संरक्षण आयोग, जेरेडा, झालको, तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड, धार्मिक न्यास बोर्ड, श्वेताबंर जैन न्यास बोर्ड, विधि आयोग, मानवाधिकार आयोग, उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, राज्य अल्पसंख्यक आयोग, पहाड़ी क्षेत्र उद्वाह सिंचाई निगम लिमिटेड, प्रावैद्यिक शिक्षा परिषद, ग्रामीण पथ विकास प्राधिकरण, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड, सैरात रेमिशन कमेटी, समाज कल्याण बोर्ड, राज्य महिला आयोग, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, झारक्राफ्ट, माटी कला बोर्ड, पिछड़ा वर्ग आयोग, झारखंड सूचना आयोग, लघु एवं कुटीर उद्यम विकास बोर्ड और झारखंड शिक्षा न्य़ायाधिकरण शामिल हैं. कई आयोग में सदस्य और अध्यक्ष का पद 8-10 साल से खाली है।
एमडी या सचिव देख रहे हैं बोर्ड-निगम और आयोग का काम
अध्यक्ष और सदस्यों के नहीं होने की वजह से बोर्ड-निगम, आयोग और समिति का काम एमडी या सचिव देख रहे हैं। अध्यक्ष के नहीं होने से कई नीतिगत फैसले नहीं लिये जा पा रहे हैं। सरकार समर्थित पार्टियों के कई नेता नेता बोर्ड-निगम के पद के लिए लॉबिंग कर रहे हैं, लेकिन इस बारे में कोई खुलकर नहीं रहा। वह यह भी मानते हैं कि आयोगों में पद खाली रहने से काम प्रभावित हो रहे हैं।
आरती कुजूर के बाद से बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष विहीन झारखंड राज्य बाल संरक्षण आयोग में अध्यक्ष का पद अप्रैल 2020 के बाद से खाली है। आरती कुजूर आयोग के अध्यक्ष के तौर पर काम कर रही थीं। 22 अप्रैल 2020 को उनका और तीन और सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया। उसके बाद से यह आयोग अध्यक्ष और सदस्य विहीन हो गया है। इसकी वजह से बच्चों से जुड़े आपराधिक और गैर आपराधिक मामलों की सुनवाई ठप हो चुकी है।
संजय सेठ के बाद से खादी बोर्ड में अध्यक्ष का पद खाली
रांची के सांसद संजय सेठ (Sanjay Seth) 26 जून 2016 को झारखंड खादी बोर्ड के अध्यक्ष बनाये गये थे। 2019 में उन्होंने खादी बोर्ड के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया। उसके बाद से अबतक बोर्ड अध्यक्ष विहीन है। खादी बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जयनंदू एक बार फिर अध्यक्ष पद पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं. संजय सेठ के कार्यकाल में खादी को काफी प्रमोट किया गया था, लेकिन 2 साल से स्थिति बिगड़ रही है।
हिमांशु शेखर चौधरी के बाद से सूचना आयुक्त विहीन है आयोग हिमांशु शेखर चौधरी (Himanshu Shekhar Choudhri) का कार्यकाल खत्म होने के बाद झारखंड सूचना आयोग में भी सूचना आयुक्त का पद खाली है. 19 मई 2015 को हिमांशु शेखर सूचना आयुक्त बने थे। 30 नवंबर 2019 को उनका कार्यकाल खत्म हुआ। इस दौरान आयोग में 29832 मामलों की सुनवाई हुई. सूचना आयोग में हर महीने करीब 500 अपील पहुंचते हैं. आयुक्त के नहीं होने के कारण हजारों अपील पेंडिंग पड़े हैं।
कल्याणी शरण के बाद से अध्यक्ष विहीन है महिला आयोग रघुवर सरकार के समय कल्याणी शरण को महिला आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था उनके साथ दो सदस्य पूनम प्रकाश और शर्मिला सोरेन का भी कार्यकाल खत्म हो चुका है। कल्याण 7 जून 2017 से 7 जून 2020 तक आयोग की अध्यक्ष थीं. इस दौरान उनके 3 साल के कार्यकाल में आयोग में 4795 मामले दर्ज किये गये थे. अब अध्यक्ष का पद खाली होने के कारण पिछले 1 साल से हजारों मामले पेंडिंग हैं।