द फॉलोअप टीम, गुमला:
झारखंड में पुलिस और प्रशासन का अमानवीय चेहरा एक बार फिर लोगों के सामने आया है। मामला गुमला जिला के रायडीह प्रखंड का है। यहां नदी से निकाले गये एक शव को हॉस्पिटल तक ले जाने के लिए पुलिस प्रशासन की तरफ से कोई वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया। परिजन शव को प्लास्टिक में लपेट कर बाइक के जरिये गुमला सदर अस्पताल तक ले आये। हालांकि, शव इतनी बुरी हालत में था कि गुमला सदर अस्पताल प्रशासन ने फॉरेसिंक जांच के लिए रिम्स रेफर कर दिया।
रिम्स तक शव को लाने के लिए भी परिजनों को खुद ही गाड़ी का इंतजाम करना पड़ा। दुश्वारियां देखिये कि रिम्स के फॉरेसिंग विभाग ने कागजात नहीं होने का हवाला देकर शव का बोन एग्जामिनेशन करने से मना कर दिया।
नवंबर में नदी में डूबा था युवक
जानकारी के मुताबिक 15 नवंबर 2020 को गुमला के रहने वाले बीटेक के तीन छात्र रायडीह प्रखंड स्थित हीरादह शंख नदी में डूब गये थे। इनमें से दो का शव उसी समय बरामद कर लिया गया था जबकि सुनील कुमार भगत नाम का एक अन्य छात्र लापता था। बीते 4 मार्च को उसका शव मिला। तकरीबन पांच महीने नदी में रहने की वजह से शव की हालत बहुत खराब हो गयी थी। यूं कह लीजिये कि केवल अवशेष ही शेष बच गये थे।
आरोप है कि हीरादह शंख नदी से शव निकालने के बाद पुलिस ने पंचनामा किया और कहा कि इसे अस्पताल तक कैसे ले जाना है ये आपलोग देख लीजिये। पुलिस प्रशासन ने शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया। मजबूरी में परिजनों ने शव के अवशेषों को प्लास्टिक में लपेटा और बाइक से ही गुमला सदर अस्पताल ले आये।
शव का केवल अवशेष ही मिला
गुमला सदर अस्पताल में शव की बुरी हालत को देख पोस्टमॉर्टम करने से इंकार कर दिया गया। डॉक्टरों ने शव को फॉरेंसिक जांच के लिए रांची स्थित रिम्स रेफर कर दिया। परिजनों के साथ केवल एक चौकीदार को भेज दिया गया। परिजन सुनील का शव लेकर रिम्स पहुंचे। फॉरेंसिक जांच के लिए रिम्स के फॉरेसिक मेडिसिन एंड टेक्सिकोलॉजी विभाग लाये, लेकिन डॉक्टरों ने बोन एग्जामिनेशन करने से मना कर दिया। डॉक्टरों का कहना है कि परिजनों के पास ना तो कोर्ट का ऑर्डर था और ना ही थाना प्रभारी या इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर का कोई पत्र। मजबूरी में परिजन शव को वापस गुमला ले गये।
प्रशासन का अमानवीय चेहरा
झारखंड में प्रशासनिक अमला द्वारा अमानवीय रवैया अख्तियार करने का ये पहला मामला नहीं है। अभी हाल ही में गिरिडीह जिला में एक गर्भवती महिला की इलाज के अभाव में मौत हो गयी थी। प्रसव पीड़ा होने पर उसे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस मुहैया नहीं कराया जा सका था। परिजन मजबूरी में गर्भवती महिला को खटिया में लादकर हॉस्पिटल ले जाने की कोशिश कर रहे थे। वे हॉस्पिटल पहुंच पाते उससे पहले ही महिला ने बच्चे को जन्म दिया। इलाज के अभाव में जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गयी। बाद में शव को गांव तक ले जाने के लिए अस्पताल प्रबंधन की तरफ से गाड़ी भी मुहैया नहीं कराया गया। परिजन खटिया में ही शव को गांव तक ले गये।